सस्ते चीनी माल ने कर दिया बर्बाद, बंद हो चुकी आधी फैक्ट्रियां, खड़ी हो रही बेरोजगारों की फौज

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चीन से आ रहे सस्ते माल से भारत की नहीं पूरी दुनिया परेशान है। चाइनीज माल की कोई गारंटी नहीं है। उसके बारे में कहा जाता है कि चाइनीज माल चले तो चांद तक नहीं तो शाम तक। एक रिपोर्ट के मुताबिक साउथईस्ट एशिया के देशों में भी अब चीन के खिलाफ आवाज उठने लगी है। चीन से आ रहे सस्ते माल से वहां के बाजार अटे पड़े हैं। इस कारण लोकल इंडस्ट्रीज बंद हो रही है और बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं। उदाहरण के लिए थाईलैंड के उत्तरी लैमपैंग प्रॉविंस में सिरैमिक्स की आधी फैक्ट्रीज बंद हो चुकी हैं। इंडोनेशिया में हजारों टैक्सटाइल वर्कर्स की नौकरी चली गई है। मलेशिया में सस्ते चीनी माल के कारण छोटे-छोटे दुकानदार तबाह हो गए हैं। चीन इन तीनों देशों का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है।

पिछले दो दशक से चीन दुनिया की फैक्ट्री बना हुआ है। उसने बड़े पैमाने पर अपने यहां मैन्यूफैक्चरिंग शुरू की है। यही वजह है कि उसके लिए सामान बनाना सस्ता पड़ रहा है और इस सस्ते सामान को वह दुनियाभर के बाजारों में खपा रहा है। इस कारण दुनियाभर में लोगों का कई साल से जमा-जमाया बिजनस तबाह हो रहा है। इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। थाईलैंड में फूड स्टॉल में यूज होने वाले अधिकांश सूप बाउल लैमपैंग में बनते हैं। इनकी कीमत करीब 18 बाट होती है लेकिन चीन की कंपनियां इसी तरह के बाउल आठ बाट में बेच रही हैं। इस कारण आधी सिरैमिक्स फैक्ट्रीज बंद हो गई हैं और हजारों वर्कर्स बेरोजगार हो गए हैं।

कैसे बर्बाद रहा है चीन

इसी तरह टैक्सटाइल, कॉस्मेटिक्स, लॉजिस्टिक्स इलेक्ट्रॉनिक्स और किचनवेयर में भी चीन के कंपनियों ने लोकल कंपनियों को कंप्टीशन से बाहर कर दिया है। चीन की कंपनियां धड़ाधड़ इन कंपनियों को खरीद रही हैं। अब कुछ थाई कस्टमर लोकल के लिए वोकल हो गए हैं। चीनी माल के बहिष्कार की मांग उठने लगी है। मलेशिया की सरकार ने चीन से आ रहे सस्ते माल को रोकने के लिए 10 परसेंट इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई लेकिन रिटेलर्स का कहना है यह नाकाफी है। उनका कहना है कि उनकी बिक्री में 30 फीसदी की गिरावट आई है क्योंकि ऑनलाइन बिजनस में सीधे चीन से माल आ रहा है।

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