चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। 15 अप्रैल, गुरुवार को गणगौर व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं।ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि गणगौर व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति से छिपकर रखती हैं। इस व्रत के बारे में पति को कुछ भी नहीं बताया जाता है। पूजा में चढ़ाया गया प्रसाद भी महिलाएं पति को नहीं देती हैं।यह त्योहार होली के दिन आरंभ हो जाता है। सुहागिन महिलाएं मिट्टी के भगवान शिव यानी गण और मिट्टी की ही माता पार्वती यानी गौर बनाती हैं और रोजाना उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। यह त्योहार 17 दिनों तक मनाया जाता है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 15 अप्रैल गुरुवार को गणगौर तीज की पूजा का विधान है। 17 दिनों तक सुहागिन महिलाएं फूल और दूब चुनकर लाती हंै और उससे दूध से मिट्टी के बने गणगौर पर छींटे मारती है, तथा चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन महिलाएं किसी नदी, तालाब के पास जाकर और अपनी पूजी हुई गणगौर को पानी पिलाती हैं। अगले दिन यानी चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन महिलाएं गणगौर का विसर्जन कर देती हैं। कोरोना के कारण इस बार महिलाएं घर में बाल्टी में पानी भरकर गणगौर का विसर्जन करेंगी।