सेबी की शरण में गौतम अडानी! ‘हेराफेरी’ का मामला निपटाने के लिए किया आवेदन

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नई दिल्ली: अडानी ग्रुप की कई कंपनियों ने पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने के एक मामले को निपटाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी से संपर्क साधा है। ग्रुप की चार लिस्टेड कंपनियों पर हेराफेरी के जरिए पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। मॉरीशस के एफपीआई इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड्स (EIFF) ने पिछले सप्ताह ₹28 लाख की सेटलमेंट अमाउंट का प्रस्ताव रखा था। सेबी का आरोप है कि यह फंड गौतम अडानी के बड़े सौतेले भाई विनोद अडानी से जुड़ा है। ईटी ने इससे जुड़े दस्तावेजों को देखा है। साथ ही ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर विनय प्रकाश और अंबुजा सीमेंट्स के डायरेक्टर अमीत देसाई ने निपटान राशि के रूप में ₹3-3 लाख की पेशकश की है। अडानी एंटरप्राइजेज ने भी मामले को निपटाने की मांग की है।

ये सेटलमेंट प्रपोजल सेबी के 27 सितंबर के कारण बताओ नोटिस के जवाब में दिए गए थे। सेटलमेंट एप्लिकेशन का मतलब दोष स्वीकार करना या अस्वीकार करना नहीं है। ईटी को चार कंपनियों के आवेदनों के बारे में पता है लेकिन संभव है कि इसमें शामिल अडानी ग्रुप की सभी कंपनियों ने निपटान के लिए आवेदन किया हो क्योंकि कानूनी रणनीति ग्रुप लेवल पर बनती है। इस घटनाक्रम से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि सेबी ने अभी तक निपटान आवेदनों पर कोई निर्णय नहीं लिया है।

कारण बताओ नोटिस

इन चार संस्थाओं के अलावा सेबी ने गौतम अडानी, उनके भाइयों विनोद, राजेश और वसंत, भतीजे प्रणव (विनोद के बेटे) और बहनोई प्रणव वोरा सहित 26 अन्य संस्थाओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस घटनाक्रम से जुड़े एक अन्य सूत्र ने कहा कि ग्रुप की कंपनियों ने आरोपों का खंडन किया है और सेटलमेंट एप्लिकेशन केवल प्रॉसिजरल है। सूत्र ने कहा, ‘निपटान आवेदन दाखिल करना किसी भी कॉर्पोरेट के लिए सामान्य प्रक्रिया है, जिसे कारण बताओ नोटिस दिया गया है। यदि आप 60 दिनों के भीतर आवेदन दाखिल नहीं करते हैं, तो आप निपटान के अपने अधिकार को खो देते हैं।’

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