सोचता हूं वो बातचीत नहीं होती तो… आखिर पिता ने क्या कहा था कि जयशंकर बोले- पता नहीं आज जीवन कैसा होता

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नई दिल्ली: आपकी पढ़ाई का विषय कुछ भी हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकारी जरूर जुटाते रहें। यह सुझाव है विदेश मंत्र एस. जयशंकर का। विदेश मंत्री ने शनिवार को छात्र-छात्राओं से बात की। उन्होंने अपनी बातें समझाने के लिए पिता से मिली प्रेरणा का जिक्र भी किया। जयशंकर ने कहा कि सूचना युग में हर तरह की जानकारियां आसानी से उपलब्ध हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या चल रहा है, इसके अपडेट्स भी आसानी से लिए जा सकते हैं। उन्होंने स्टूडेंट्स को इसका फायदा समझाते हुए कहा कि सजग युवाओं का देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी छाप छोड़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकारी रखने का महत्व

जयशंकर ने कहा, ‘आप अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पढ़ाई करें या नहीं, आपको इस बारे में अच्छी तरह वाकिफ रहने की जरूरत है। दुनिया हमारे दरवाजों आ गई है… यह अच्छा भी है और बुरा भी। जब कोविड पहली बार आया था, तो आपने चीन के एक शहर में हो रही किसी घटना के बारे में पढ़ा था; किसने सोचा होगा कि हमारे जीवन के दो साल पूरी तरह से इससे प्रभावित होंगे? मैं सभी से दुनिया में दिलचस्पी लेने, क्या हो रहा है उस पर नजर रखने और उसे आकार देने का आग्रह करता हूं। इसीलिए हमें वहां मौजूद रहने की जरूरत है। हम दर्शक नहीं बन सकते, हम दूसरों के लिए खेल का मैदान नहीं बन सकते; हमें भी एक खिलाड़ी बनना होगा।’ उन्होंने आगे कहा कि आज के आपस में जुड़े समाज में अलग-अलग नजरिए को समझना महत्वपूर्ण है।

पिता से हुई बातचीत का जयशंकर ने किया जिक्र

विदेश मंत्री ने शिक्षा जगत से कूटनीति तक की अपनी यात्रा को भी साझा किया। उन्होंने बातया कि कैसे उनके पिता ने उन्हें व्यावहारिक अंतरराष्ट्रीय संबंधों में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, ‘मैंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्री की थी और उस समय मेरा विचार वास्तव में टीचिंग का था। इसलिए मैंने अपनी मास्टर डिग्री के बाद और डिग्रियां हासिल कीं। इसी दौरान मैंने संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) परीक्षा दी। मैं आसानी से अंतरराष्ट्रीय संबंधों की शैक्षणिक धारा में जा सकता था, लेकिन पिता जी, जो सरकारी सेवा में थे, ने मुझे चतुराई से समझाया कि क्या मैं वह अध्ययन करना चाहता हूं जो और लोग करते हैं या मैं खुद कुछ करना चाहता हूं?’ जयशंकर ने आगे कहा, ‘पिताजी बोले- अगर आप खुद कुछ करना चाहते हैं, तो आप व्यावहारिक अंतरराष्ट्रीय संबंधों (अप्लाइड इंटरनैशनल रिलेशन) पर विचार क्यों नहीं करते?’ मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि अगर हमारी वह बातचीत नहीं हुई होती तो जीवन कैसा होता।’

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