सोनेवानी क्षेत्र को अभ्यारण बनाने के प्रस्ताव के खिलाफ खोला मोर्चा

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विवादों से घिरे सोनेवानी अभ्यारण के प्रस्ताव के खिलाफ गुरुवार को दर्जनों गांव के ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचे और जिला पंचायत कार्यालय के सामने एकजुट हुए। ग्रामीणों ने, सोनेवानी को अभ्यारण बनाने वाले फैसले को हजारों परिवारों के लिए रोजगार छीनने और हजारों जिंदगियों को वन्य प्राणियों के खतरे में धकेलने वाला बताया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं भी मीलों दूर से बालाघाट पहुंचीं। बाद में ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा को सोनेवानी को अभ्यारण ना बनाने की मांग रखी।

ग्रामीणों का कहना है कि सोनेवानी को अभ्यारण बनाने की मंशा शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की है। उस क्षेत्र में 40 से ज्यादा अधिक गांव आते हैं, जिसमें कोई भी इस फैसले का समर्थन नहीं करता है। अगर सोनेवानी क्षेत्र को अभ्यारण बनाया गया तो 10 से 12 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 40 से अधिक गांवों को विस्थापित करना पड़ेगा। सभी लोगों की वह जन्मस्थली है। वहां हमारी पुश्तैनी जमीन, खेती-बाड़ी है, जिसे छोड़कर जाना पड़ेगा और भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

ग्रामीणों का कहना है कि वह सालों से बाघ, भालू, तेंदुए के आतंक के बीच जीवन जी रहे हैं। अभी वन्य प्राणियों के हमले की बढ़ती घटनाओं से क्षेत्र के ग्रामीण डरे और सहमे हुए हैं। मवेशियों और इंसानों को बाघ अपना शिकार बना रहे हैं। अगर वहां अभ्यारण बनता है तो वन्य प्राणियों का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा। इसके अलावा गांव में ही पंचायत के काम हो रहे हैं, जिनसे ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है। वहां संचालित माइंस में काम करके अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहे हैं। अभ्यारण बनने से यह सब छिन जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि अभ्यारण सिर्फ शहरी क्षेत्र के लोगों के मनोरंजन के लिए बनाया जा रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर हजारों लोगों की मांग की विपरीत फैसला लिया गया, तो वे सड़कों पर धरना प्रदर्शन करेंगे।

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