नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमनाथ मंदिर के आस-पास अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने मंदिर के पास मुसलमानों की संपत्तियों को गिराए जाने के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि मंदिर के पास तोड़-फोड़ की कार्रवाई चलती रहेगी। इन संपत्तियों में एक सौ साल पुरानी मस्जिद भी शामिल है। गुजरात सरकार का कहना है कि समुद्र के किनारे सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी
शीर्ष अदालत ने आगे ये भी कहा कि अगर हमें पता चलता है कि गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 17 सितंबर के आदेश की अवमानना की है, तो हम यथास्थिति बहाल करने का आदेश देंगे। अगर 17 सितंबर के आदेश का उल्लंघन हुआ तो गिराए गए ढांचों को फिर बनाने का आदेश दिया जाएगा।
ऐसे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
एक मुस्लिम संगठन, ‘सुम्मस्त पाटनी मुस्लिम जमात’ ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े के माध्यम से आरोप लगाया कि 28 सितंबर को तड़के नौ धार्मिक ढांचों को गिराने के लिए अभियान चलाया गया। इनमें मस्जिद, दरगाह और मकबरे शामिल हैं, साथ ही यहां का कामकाज देखने वाले 45 लोगों के घर पर भी एक्शन हुआ है।
गुजरात सरकार ने रखा अपना पक्ष
संगठन ने आईएएस अधिकारी राजेश मुंजू के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की, जिन्होंने यह अभियान चलाया। यह अभियान सुप्रीम कोर्ट के 17 सितंबर के उस निर्देश का उल्लंघन करता है, जिसमें कहा गया था कि इस अदालत से अनुमति के बिना पूरे देश में कहीं भी तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस दावे को झूठा और भ्रामक बताया।