भोपाल: पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा को सरेंडर से पहले लोकायुक्त की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है। सौरभ शर्मा ने एजेंसियों को चकमा देकर सोमवार को कोर्ट में सरेंडर के लिए आवेदन दिया था। अटकलें थी कि वह मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर करेगा। वहीं, सरेंडर से पहले ही सौरभ शर्मा को लोकायुक्त ने गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद भोपाल कोर्ट में गहमागहमी बढ़ गई है। भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। वहीं, सौरभ शर्मा के वकील ने कहा है कि यह गलत है।
लोकायुक्त कोर्ट में पेशकर रिमांड पर लेगी
सौरभ शर्मा को लोकायुक्त ने 28 जनवरी को गिरफ्तार किया है। शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार करके मध्य प्रदेश को बदनाम किया। लोकायुक्त की छापेमारी के बाद से शर्मा 40 दिनों से फरार थे। इस मामले में कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है। कांग्रेस ने भाजपा पर शर्मा को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।
सोमवार को लगाई थी सरेंडर के लिए याचिका
सौरभ शर्मा, जिन्हें परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, ने सोमवार को भोपाल की एक विशेष अदालत में समर्पण करने की याचिका दायर की थी। मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई होनी थी। लेकिन उनके वकील राकेश पाराशर ने दावा किया कि सुनवाई से पहले ही पुलिस ने शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, जांच एजेंसियों ने अभी तक इस गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है।
अवैध धन कमाया
शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने परिवहन विभाग में अपने पद का दुरुपयोग करके अवैध धन कमाया। 19 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त की टीम ने उनके घर पर छापा मारा था। इस छापेमारी में उनके करीबी चेतन गौर की कार भी जब्त की गई थी। इस कार से आयकर विभाग को 11 करोड़ रुपये नकद, 52 किलोग्राम सोना और कई बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे। इस घटना के बाद से शर्मा अपनी पत्नी दिव्या तिवारी के साथ फरार थे। लगभग 40 दिनों की फरारी के बाद सोमवार को वह अचानक कोर्ट में पेश हुए थे।
एजेंसियां हो गई थीं चौंकन्नी
शर्मा के अचानक कोर्ट में आने से सभी जांच एजेंसियां चौंकन्नी हो गईं। लोकायुक्त, ED और आयकर विभाग सभी उनकी गिरफ्तारी के लिए सक्रिय हो गए। लेकिन शर्मा अपने वकील के साथ समर्पण की अर्जी लगाकर कोर्ट से गायब हो गए। कोर्ट ने उनकी अर्जी पर सुनवाई के लिए मंगलवार का दिन तय किया था और लोकायुक्त से केस डायरी भी तलब की थी।