स्थानीय विधायक किसानों के साथ बहती गंगा में धो रहा हाथ-सुभाष पारधी

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वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)।  विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सरकार ने घोषणा की गई थी कि किसानों को ३१०० रुपये प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य दिया जायेगा। लेकिन सरकार के द्वारा  किसानों को धान का समर्थन मूल्य नही दिया गया जिससे किसानों में आक्रोश है और खरीदी केंद्रों पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। इसी क्रम में ६ दिसंबर को राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के पदाधिकारी ,सदस्य और किसानों के साथ एसडीएम कार्यालय पहुंचे। जहां एसडीएम को ज्ञापन देकर किसानों की मांग के समर्थन में वारासिवनी बंद का आह्वान किया गया। ज्ञापन में उल्लेखित है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय सरकार ने प्रदेश के लिए संकल्प पत्र अपना जारी किया गया था। जिसमें किसानों के विषय में उनके द्वारा धान का समर्थन मूल्य ३१०० रुपये प्रति क्विंटल एवं गेहूं का २७०० रुपये प्रति क्विंटल का स्पष्ट वादा किया गया था। इसके बाद सरकार बनी लेकिन सरकार बनने के बाद होने वाली समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में भी यह वादा पूरा नहीं किया गया और उसके बाद दूसरी खरीदी में भी इसे पूरा नहीं किया गया। इसके खिलाफ  क्षेत्र, जिला और प्रदेश के किसानों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है । जिसके लिए राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के द्वारा ९ दिसंबर २०२४ दिन सोमवार को वारासिवनी नगर बंद करने का आह्वान किया गया है। जिसके माध्यम से सरकार से समर्थन मूल्य की मांग की जाएगी। इस अवसर पर ब्लॉक अध्यक्ष सुभाष पारधी ,राहुल बिसेन ,बुद्धेश बिसेन ,युगलकिशोर सुलकिया, किशोर बिसेन, नागेंद्र सिंह डहरवाल ,हर्षित राणा ,चंद्रविजय ठाकुर ,बिट्टू पारधी ,हेमंत भैरम ,चंद्रप्रकाश बिसेन ,रमेश बिसेन सहित अन्य किसान मौजूद रहे।

किसानों ने सरकार पर लगाया वादा खिलाफी करने का आरोप

सत्ता में बैठे नेता एवं वर्तमान मुख्यमंत्री के द्वारा चुनाव में मंच से संकल्प पत्र में किसानों को ३१०० रुपये समर्थन मूल्य देने की घोषणा विधानसभा चुनाव में की गई थी। जो चुनाव संपन्न होने के बाद धान खरीदी हुई जिसमें यह नहीं दिया गया जिसकी मांग कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में की गई। तो नेताओं के द्वारा ३१०० रुपये समर्थन मूल्य धान का एवं पुराना राशि का अंतर बोनस के रूप में दिए जाने का आश्वासन दिया गया। परंतु दूसरी खरीदी पर भी सरकार के द्वारा २३०० रुपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य जारी किया गया जिससे किसान आक्रोशित होकर खरीदी केंद्रों के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे है। परंतु यह आंदोलन अब धीरे.धीरे उग्र होते जा रहा है। जिसमें पूर्व जिला पंचायत सदस्य ज्ञानप्रकाश उर्फ पप्पू पटेल के द्वारा २५ दिसंबर को आत्मदाह करने की घोषणा की जाती है। तो वहीं सरकारी की वादा खिलाफ ी के खिलाफ में ९ दिसंबर को वारासिवनी नगर बंद का भी आव्हान कर दिया गया है। जिससे पता चलता है कि यह आंदोलन अब किस तरह उग्रता की ओर बढ़ता जा रहा है।

आंदोलन के ५ वें दिन भी खरीदी केंद्रो में पसरा रहा सन्नाटा

क्षेत्र में प्रशासन के द्वारा किसानों की उपज खरीदने के लिए सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से धान उपार्जन केंद्र की स्थापना की गई है। किसानों के आंदोलन का यह छटवां दिन है और खरीदी का पांचवा दिन परंतु देखने में आ रहा है कि यह खरीदी केंद्र वीरान पड़े हुए हैं। जहां पर किसान अपनी धान शासन को देने के लिए नहीं पहुंच रहे जिसमें हर किसान के द्वारा अपने अपने स्तर से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। जिसमें कुछ धरने पर है कुछ घरों में है तो कुछ किसानों के द्वारा जानकारी के अभाव में धान समिति ला भी ली गई है तो वह उसे सोसायटी में ही सुरक्षित रख दिए हैं शासन को नहीं दे रहा है।

स्थानीय विधायक  किसानों को  कर रहे गुमराह -सुभाष पारधी

राष्ट्रीय किसान मजूदर महासंघ अध्यक्ष सुभाष पारधी ने बताया कि किसान मजदूर महासंघ गैर राजनीतिक है। किसानों की बैठक हुई तो वहां पर कहा कि कोई राजनीतिक व्यक्ति आंदोलन में नहीं आएगा। अपनी मांग हम स्वयं करेंगे और  वारासिवनी विधायक बोल रहा हैं मैं भी समर्थन कर रहा हूं। लेकिन वारासिवनी विधायक विवेक पटेल को सोचना चाहिए कि अभी तक उन्होंने किसानों के लिए क्या किया । हमने पार्टी से इस्तीफ ा देकर संगठन को खड़ा किया आज किसानों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं २० सोसायटीयों का दौरा कर चुके हैं ,सभी जगह खरीदी बंद है किसानों का समर्थन मिल रहा है। पूरे किसान मिलकर लड़ाई लड़ रहे हैं हमारे मंच पर कोई नेता नहीं आएगा किसान खुद की लड़ाई लड़ेंगे हमारे विधायक सोए थे आज जागे है । अब हम भी करेंगे कहते हैं तो विधायक अभी तक कहां गये थे । श्री पारधी ने बताया कि विधायक विवेक पटेल बालाघाट में मुख्यमंत्री से हाथ मिलाने जा रहे हैं  जिले में चार कांगे्रस के विधायक है कोई किसानो के लिए नही दौड़ रहा है।  इसलिए हमें सामने आना पड़ रहा है विधायक विवेक पटेल प्रदेश के मुख्यमंत्री के चरण वंदन कर रहे हैं जबकि उन्हें काली पट्टी बांधकर विरोध करना था। किसानों के साथ जाकर बात करना था परंतु इनका कोई योगदान नहीं दिख रहा है।  विधायक ने किसानो के साथ मिलकर मुख्यमंत्री का पुतला दहन करना था।

यह लडाई किसानों की हक की लड़ाई- हर्षित राणा

किसान हर्षित राणा ने बताया कि हमारी समस्या समस्त किसान बंधुओं को लेकर है प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जो विधानसभा चुनाव ,लोकसभा चुनाव में ३१०० रुपये धान का रेट पुराना बोनस देने की बात की है वही हम किसान मांग रहे हैं। सरकार भूल चुकी है जिसको लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से हम आग्रह कर रहे हैं कि किसानों का धान ३१००, गेहूं २७०० रुपये प्रति क्विंटल देने की तैयारी करें आदेश जारी करें। किसान को समस्या हो रही है सरकार के वादे पर किसान ने वोट किया था सरकार बनाकर किसान ने दिया अब सरकार अपना ऋ ण चुकाना है यही हम चाहते हैं।  

कोई संगठन या राजनीतिक दल किसानों के साथ में नहीं है-राहुल बिसेन

पूर्व जिला पंचायत सदस्य राहुल बिसेन ने बताया कि मध्य प्रदेश में जो धरना प्रदर्शन किया जा रहा है यह किसानों के हक की लड़ाई है जो जायज भी है। २०२३ में विधानसभा चुनाव में ३१०० रुपये प्रति क्विंटल कहा गया था यह अकेला मध्य प्रदेश में नहीं छत्तीसगढ़ में भी बोला गया था। परंतु मध्य प्रदेश को छोड़ छत्तीसगढ़ में सरकार ३१०० रुपये प्रति क्विंटल पर धान की खरीदी कर रही है यहां सरकार से ही संघर्ष करना पड़ रहा है। किसान मांग को लेकर उग्रता की तरफ  जा रहे हैं मुख्यमंत्री अभी बालाघाट आए थे उस समय हमने देखा जिससे विश्वास है कि जल्द ही समर्थन मूल्य देगी और उन्हें देना चाहिए। यहां पर किसान ही एक दूसरे की मदद कर रहे हैं कोई संगठन या राजनीतिक दल साथ में नहीं है स्वयं किसान संगठित होकर रोक रहा है।

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