नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में १२ अगस्त को सामाजिक सद्भाव, प्रेम और सम्मान का प्रतीक भुजलियां पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शाम होते ही युवती व महिलाओं ने घरों में बोई गई भुजली की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जिसके बाद सभी तालाब ,हेंडपंप, कुएं व नदियों के तट पर पहुंचकर भुजलियों को विसर्जित कर देवी-देवताओं को भुजलियां अर्पित की तत्पश्चात एक-दुसरे को परस्पर भुजलियां भेंट कर अपने बड़े-बुजुर्गो से आशीर्वाद प्राप्त किया। इसी तरह नगर मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत अमोली व पांढरवानी के कुम्हारी मोहल्ला में भी युवती व महिलाओं के द्वारा भुजलियों की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर कुछ लोगों ने कुएं, हेंडपंप व सर्राठी नदी के तट पर पहुंचकर भुजलिव्यां विसर्जित कर एक-दुसरे को भेंट कर भुजली पर्व की शुभकामनाएं दी। विदित हो कि यह त्यौहार रक्षाबंधन के दूसरे दिन धूमधाम से मनाया जाता है जो मूलत: अज्छी फसल की कामना के लिये मनाया जाता है और इस दौरान खेतों में धान के अलावा कई प्रकार की फसलें तैयार होने की स्थिति में होती हैं। भुजलियां पर्व की तैयारी नागपंचमी से ही शुरू हो जाती है और इस पर्व पर घरों में गेहूं या जौ बोई जाती है जिन्हे भुजलियां कहा जाता है और इस दिन पूजा-अर्चना के बाद लोग अपने गांव, मोहल्ले और नगरों में गणमान्य नागरिकों, पारिवारिक बड़े-बुजुर्गो को भुजलियां भेंट कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। चर्चा में श्रीमती उमा अवधिया ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व के एक सप्ताह पूर्व से गेहूं बोई जाती है जिसे भुजली कहते है जिसकी सुबह-शाम पूजा अर्चना करते है एवं रक्षाबंधन पर्व के दुसरे दिन विधि-विधान से पूजा अर्चना कर पारंपरिक रूप से कुएं, तालाब व नदियों में भुजली को विसर्जित किया गया तत्पश्चात देवी-देवताओ को अर्पित कर बडे-बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया गया एवं सभी को पर्व की शुभकामनाएं दी गई।