हाई कोर्ट ने कहा- अपनी बात रखने में काफी देर कर दी, अब राहत संभव नहीं

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी बात रखने में काफी देर कर दी। अतएव, अब राहत संभव नहीं है। इस टिप्पणी के साथ नगर परिषद, नौगांव, छतरपुर की वार्ड आरक्षण आदि प्रक्रिया को विलंब से चुनौती दिए जाने संबंधी याचिका खारिज कर दी गई। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा।

कलेक्टर छतरपुर को अभ्यावेदन दिया था : इस दौरान याचिकाकर्ता नौगांव, छतरपुर निवासी जितेंद्र सिंह ईसाई की ओर से अधिवक्ता एसएम शुक्ला ने पक्ष रखा। जबकि राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव खड़े हुए। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि दिसंबर, 2019 में कलेक्टर छतरपुर को अभ्यावेदन दिया गया था। जिसके जरिये मांग की गई थी कि जब तक अभ्यावेदन निराकृत नहीं हो जाता नगर परिषद की मतदाता सूची आदि जारी न की जाए। वार्ड परिसीमन आदि भी लंबित रखा जाए। इसके बावजूद अक्टूबर, 2020 में जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर ने अधिसूचना जारी कर दी। अनुसूचित जाति, जनजाति आदि की जनसंख्या के आधार पर वार्ड आरक्षित कर दिए। जिसके खिलाफ याचिका दायर की गई। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव ने याचिका को खारिज किए जाने योग्य निरूपित किया। उन्होंने कहा कि अभ्यावेदन लंबित था, तो पहले हाई कोर्ट आना था। काफी विलंब से यह कदम उठाया गया। अब तो अधिसूचना जारी हो चुकी है। ऐसे में हाई कोर्ट आना बेमानी हो गया है। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर याचिका खारिज कर दी।

चेक बाउंस प्रकरण में सजा व क्षतिपूर्ति के खिलाफ दायर अपील खारिज : अदालत ने चेक बाउंस मामले में आरोपित सिविल लाइंस निवासी नितिन राजपूत को सुनाई गई एक साल की सजा व दो लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दिए जाने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने सुनवाई के बाद आरोपित की अपील खारिज कर दी है। आरोपित ने कांचघर निवासी शेखर रजक से पेट का ऑपरेशन कराने के लिए डेढ़ लाख रुपये लिए थे, लेकिन उसका चेक बाउंस हो गया। निचली अदालत ने उसे एक साल की सजा के साथ दो लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ दायर अपील अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दी है।

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