हादसे और प्रदूषण का केंद्र बना बायपास मार्ग

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शहर में ट्रांसपोर्ट नगर का अभाव, गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य, रेलवे स्टेशन के रैक पॉइंट से सीमेंट से लदे ट्रकों की आवाजाही अब बायपास के आसपास रहने वाले हजारों लोगों के लिए परेशानी का कारण बन चुका है। वार्ड क्रमांक-4 और 5 के हजारों रहवासी बायपास मार्ग से गुजरने से कतराने लगे हैं। इस मार्ग में हमेशा उड़ता धूल का गुबार और फर्राटा भरते भारी वाहनों से हादसे का डर बना रहता है। लोगों की दो प्रमुख मांग है। शहर के बाहर रिहायषी इलाके से दूर ट्रांसपोर्ट नगर बनाया जाए और रैक पॉइंट का अन्य जगह विस्थापन किया जाए। रहवासियों ने बताया कि भारी वाहनों की दिनभर आवाजाही रहती है जिससे उनकी सेहत पर विपरित असर पड़ रहा है। उड़ती धूल का सबसे ज्यादा बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है। बता दें कि बायपास मार्ग लंबे समय से अघोषित ट्रांसपोर्ट नगर बन चुका है, जहां दूसरे राज्यों के ट्रक सड़क के दोनों छोर पर खड़े रहते हैं, जिससे कई बार हादसे हो चुके हैं।

खांसी और दमे की शिकायत बढ़ीः मोहेंदर पिछोड़े
चर्चा के दौरान वार्ड क्रमांक-5 श्रवण नगर में रहने वाले मोहेंदर पिछोड़े ने बताया कि बायपास मार्ग से लगी इस रहवासी इलाके में हमेशा धूल का गुबार बन रहता है। मजबूरी में हमें हमेशा खिड़की, दरवाजे बंद करके रखने पड़ते हैं। इसका प्रभाव सेहत पर पड़ रहा है। कई घरों में बुजुर्गों को खांसी और दमा की शिकायत होने लगी है। इसके अलावा हादसे का डर बना रहता है। बच्चों को खेलने के लिए अकेले नहीं छोड़ पाते।

कारोबार पर पड़ा रहा प्रभावः सोहन चौरागड़े
बायपास सड़क के किनारे किराने की दुकान संचालित करने वाले सोहन चौरागड़े ने बताया कि सड़क से लगी दुकानदार दिनभर धूल और प्रदूषण से परेशान रहते हैं। एक भारी वाहन भी गुजरता है तो धूल ही धूल उड़ती है, जिससे सारी धूल दुकान में रखे सामान पर जमा हो जाता है। इससे कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। दिनभर में कई बार दुकान में रखे सामान को साफ करना पड़ता है।

स्टेशन से रैक पॉइंट हटाया जाएः चंदनलाल
चर्चा के दौरान चंदलाल चौरागड़े ने बताया कि बायपास से लगे रेलवे स्टेषन पर बने रैक पॉइंट पर हर दूसरे-तीसरे दिन मालगाड़ी आती है, जिसमें अक्सर सीमेंट की बोरियां रहती है। इन बोरियों को ट्रकों में लोड करने के दौरान सीमेंट उड़ती है, जो हवा में घुलकर सांस के जरिए शरीर के अंदर आती है और खांसी, दमा, आंखों में जलन जैसी समस्याओं का कारण बनती है। हमारी मांग है कि रेलवे स्टेषन से रैक पॉइंट को हटाकर अन्य जगह पर किया जाए ताकि लोगों को प्रदूषण से राहत मिले। रैक पॉइंट से सीमेंट की बोरियों की अनलोडिंग के दौरान उड़ने वाली धूल से घरों की दीवार भी खराब हो रही है। पेड़-पौधों पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

रैक पॉइंट विस्थापन ठंडे बस्ते में
बता दें कि रेलवे स्टेशन से रैक पॉइंट के विस्थापन को लेकर इससे पहले भी कई बार मांग उठ चुकी है। इसके अलावा बकायदा डेढ़ साल पहले सांसद डॉ. ढालसिंह बिसेन की मौजूदगी में रेलवे अधिकारियों के साथ निरीक्षण कर भरवेली या गर्रा रेलवे स्टेशन में रैक पॉइंट के विस्थापन को लेकर प्रयास किए गए थे, लेकिन डेढ़ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस संबंध में अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाए जा सके हैं। बालाघाट रेलवे स्टेशन पर रैक पॉइंट होने के कारण अक्सर बायपास रोड पर भारी वाहनों का जमावड़ा रहता है, जो धूल, प्रदूषण और हादसे का कारण बन रहा है।
सीसी रोड भी हो गई जर्जर
करीब आठ साल पहले बायपास मार्ग में सीसी रोड का निर्माण कराया गया था, लेकिन आज इस सीसी रोड की हालत जर्जर हो चुकी है। ट्रकों के जमावड़े और आवाजाही के कारण सीसी रोड जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। कुछ जगह बड़े-बड़े गड्ढे उभर आए हैं, जो हादसों को न्योता दे रहे हैं। संविधान चौक की तरफ सीसी रोड दो हिस्सों में बंट चुकी है और करीब पांच से छह सेमी चौड़ी दरार आ गई है, जिसमें दो पहिया वाहनों के चक्के फंसने का डर बना रहता है।

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