नेपाल की राजधानी काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने अपने चेंबर में ‘ग्रेटर नेपाल’ का नक्शा लगाकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। इस ग्रेटर नेपाल के नक्शे में हिमाचल से लेकर बिहार तक के काफी इलाके दिखाए गए हैं। माना जा रहा है कि भारत की संसद में लगाए गए सम्राट अशोक के समय के अखंड भारत के नक्शे के जवाब में काठमांडू के मेयर ने यह नापाक हरकत की है। बालेंद्र शाह के इस कदम की जहां भारत में आलोचना हो रही है, वहीं इसको लेकर अब नेपाल में ही बहस छिड़ गई है। नेपाल के कानून के विशेषज्ञ इसे ‘बचकानी’ हरकत करार दे रहे हैं। यही नहीं नेपाली विशेषज्ञ काठमांडू के मेयर की इस हरकत को देश के संविधान और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ करार दे रहे हैं।
नेपाल के कानूनी जानकार कह रहे हैं कि मेयर शाह केवल काठमांडू के मेयर हैं और वे केवल उसी के लिए जवाबदेह हैं। संविधानविद कह रहे हैं कि मेयर शाह ने संविधान की भावना के खिलाफ काम किया है। शाह इस समय भारत के बेंगलुरु शहर में हैं और उन्होंने अपने सहयोगियों से कहकर यह नक्शा लगवाया है। उनके एक सहयोगी ने कहा, ‘हमें नेपाल के गौरवशाली इतिहास को याद रखना चाहिए। यह कदम राष्ट्रवाद के बारे में सकारात्मक संदेश देता है।’
जयशंकर ने बताया ‘अखंड भारत’ का सच
नेपाली संविधान के जानकार बिपिन अधिकारी कहते हैं कि चुने हुए प्रतिनिधियों को केवल नेपाल के संविधान से मान्यताप्राप्त नक्शे को ही लगाने का अधिकार है। इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अखंड भारत विवाद पर साफ कर दिया कि यह केवल अशोक के साम्राज्य को दिखाता है। दोस्ताना देश इसे समझेंगे। आप पाकिस्तान को भूल जाइए, उनके पास इतनी क्षमता ही नहीं है कि वे इसे समझ सकें। यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह राजनीतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक नक्शा है।