नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में हिन्दु धार्मिक परंपराओं के अनुसार मनाया जाने वाला हरितालिका पर्व ३० अगस्त को महिलाओं के द्वारा पूर्ण आस्था के साथ मनाया गया जिसके पश्चात व्रतधारी महिलाओं के द्वारा ३१ अगस्त को प्रात:काल गौर विसर्जन किया गया। नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी महिलाओं के द्वारा एकत्रित होकर हरितालिका पर्व मनाया गया। इस अवसर पर ३० अगस्त को महिलाओं व कुंवारी लड़कियों के द्वारा साज-श्रृंगार कर निर्जला व निराहार व्रत रखा गया एवं शाम को फु लेरा सजाकर बालू से माता गौरी व भगवान शिव की प्रतिमा बनाकर बेलपत्ती, नारियल, हल्दी, कुमकुम, सिंदुर, राम दतुन, फल सहित अन्य पकवानों से भोग लगाकर विशेष पूजा अर्चना की गई तथा रतजगा कर भजन-कीर्तन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसके बाद दूसरे दिन ३१ अगस्त को प्रात: में स्थानीय तालाबों, नदियों व नहरों के तटों मेेंं पहुंचकर विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर आरती पश्चात फूलेरा विसर्जन कर प्रसादी का वितरण किया गया। नगर मुख्यालय में महिला श्रध्दालुओं के द्वारा सर्राटी नदी, पांढरवानी स्थित शिकारी तालाब के नवनिर्मित विसर्जन घाट व अमोली में सर्राटी नदी पर व्रतधारी महिलाओं व कुंवारी लड़कियों के द्वारा पूजा-अर्चना और महाआरती कर आस्थापूर्वक गौर विसर्जित किया गया। इस दौरान उक्त स्थानों में भीड़ रही। विदित हो कि हिंदू धर्म में हरियाली तीज का खास महत्व है एवं भाद्रपद के शुक्ल पक्ष को मनाया जाने वाला यह पर्व महिलाओं और कुंवारी लड़कियों के लिए विशेष महत्व रखता है, इस पर्व के दिन सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है तो वहीं कुं वारी लड़कियां अपने पसंदीदा वर पाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना करती है एवं रातभर जागकर महिलाओं के द्वारा हरियाली तीज के गीत गाये गये। चर्चा में व्रतधारी महिलाओं ने बताया कि भगवान शंकर से विवाह करने के लिये माता पार्वती के द्वारा घोर तप किया गया जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने माता पार्वती से विवाह किया एवं इस दिन माता पार्वती भक्ति से खुश होकर सभी स्त्रियों को अखण्ड सुहाग का वरदान दी थी इसी मान्यता के अनुसार सुहागिन महिलाएं हरितालिका पर्व मनाती है। महिलाओं ने बताया कि हरितालिका पर्व का विशेष महत्व है और इस दिन गौरी-शंकर की पूजा का विधान है जिसमें मान्यता है कि हरितालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है एवं कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और सुहागिन महिलाओं के द्वारा २४ घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। आगे बताया कि ३० अगस्त की रात्रि में फुलेरा बांधकर माता गौरी-भगवान शंकर की विशेष पूजा अर्चना कर रतजगा किया गया एवं ३१ अगस्त को प्रात: में नदी, तालाबों में गौर विसर्जित कर हरितालिका पर्व का समापन किया गया है।