८ माह से नही मिला मंडी कर्मचारी व अधिकारियों को वेतन

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किसी समय प्रदेश की अग्रणी मंडीयों में शुमार वारासिवनी उपज मंडी वर्तमान समय में आर्थिक मंदी का दौर झेल रही है। जिसके पीछे का कारण राजस्व शुल्क घटने को माना जा रहा है। वर्तमान समय में इस मंडी में २४ कर्मचारी तैनात है। जिन्हे ८ माह से वेतन नही मिला है। वे उधार लेकर अपना जीवन निर्वाहन करने मजबूर दिखाई दे रहे है। उनका साफ तौर पर कहना है  कि हर दरवाजा अपना वेतन पाने के लिये उनके द्वारा खटखटाया गया मगर नतीजा शून्य ही साबित हुआ है। न तो उन्हे दीपावली पर्व के समय वेतन मिला न तो उन्हे होली पर्व के समय। अब आगामी समय में रामनवमी पर्व है ऐसे में वे वेतन की आस लगाये बैठे है मगर उसके मिलने की संभावना काफी कम है।

आज भी कर रहे वेतन का इंतजार – अशोक

इस संबंध में पद्मेश से चर्चा करते हुये मंडी निरिक्षक अशोक मेश्राम ने बताया कि उन्हे जुलाई माह का आखरी वेतन अगस्त माह में मिला था। जिसके बाद से ही ही वे अपने वेतन का इंतजार कर रहे है। मंडी में करीब २४ कर्मचारी कार्यरत है वे अपना घर कैसे चला रहे है वे स्वयं ही जानते है। कई बार मंडी सचिव के नेतृत्व में हमने विभाग के डीएमओ व जलबपुर में बैठे डीप्टी डायरेक्टर को पत्र लिख चुका है मगर अभी तक किसी प्रकार हमारी वेतन संबंधी समस्या का समाधान नही हुआ है।

मंडी बोर्ड से होना है ३.५० करोड़ का भुगतान

श्री मेश्राम ने बताया कि समर्थन मूल्य पर जो धान खरीदी बनाये गये केन्द्रो में हुई है उसका भुगतान करीब ३.५० करोड़ रूपये की राशि का है जिसका भुगतान हमे जिला विपणन संघ ने अभी तक मंडी खाते में नही डाला है जिसकी वजह से ही हमे वेतन नही मिल पा रहा है। हम लोग निरंतर वेतन के लिये पत्राचार कर रहे है। मगर वेतन अभी तक अप्राप्त है। ऐसे में महंगाई भरे दौर में परिवार को पालना दुश्वर हो गया है।

अब तो लोग उधार भी नही देते – कोदूलाल

वही सहायक उपनिरिक्षक कोदृूलाल कटरे ने पद्मेश को बताया कि वेतन न मिलने से हमारे सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। अब तो लोग हमे उधार देने से भी गुरेज करने लगे है। अगर समर्थन मूल्य पर जो धान किसानों ने बेची है उसका ही राजस्व जिला विपणन संघ को प्राप्त हो जाये तो हमारा वेतन हमे प्राप्त हो जायेगा। मगर मंडी बोर्ड इस तरह का किसी प्रकार का कार्य नही कर रहा है।

आवक हुई कम सी ग्रेड में पहुॅची मंडी

गौर करने वाली बात है कि किसी समय प्रदेश की अग्रणी मंडी में शामिल वारासिवनी धान मंडी बी ग्रेड का दर्जा रखती थी। वर्तमान में यह मंडी सी ग्रेड में चली गई है। जिसके पीछे की वजह मंडी में धान की आवक कम होना बताया जा रहा है वही मंडी में आने वाले किसानों को भी उचित मूल्य नही मिल पा रहा है। जिसकी वजह से मंडी की बजाये किसान समर्थन मूल्य पर धान बेचने ज्यादा उत्साहित रहता है।

मंडी उपनिरीक्षक नागेंद्र रंगारे ने बताया कि 8 महीने से उन्हें वेतन प्राप्त नहीं हुआ है जिसके कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ती गई है किराना सहित अन्य चीजों के लिए उधार पर निर्भर थे। परंतु अब उन लोगों ने भी मुंह मोड़ना शुरू कर दिया ऐसे में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिस पर शासन प्रशासन को ध्यान देना चाहिए बच्चों की परीक्षा है स्कूल फीस है वह देने में असमर्थ हो रहे हैं। श्री रंगारे ने बताया कि गरीब 3.50 करोड रुपए शासन के ऊपर मंडी टैक्स का है जो कृषि उपज मंडी को देना है परंतु वह भी प्राप्त नहीं हुआ है जिसके कारण स्थितियां बिगड़ी हुई है।

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