₹200000000000 गौतम अडानी के ‘डबल’ से चीन की नींद क्‍यों होगी हराम, यह बड़ा प्‍लान कैसा?

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दिग्‍गज उद्योगपति गौतम अडानी दक्षिण भारत में बने नए मेगा पोर्ट विजिंजम में अपना निवेश दोगुना करके 2.4 अरब डॉलर (करीब 20,000 करोड़ रुपये) करने जा रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि पोर्ट का विस्तार तेजी से हो। दुनिया के सबसे बड़े जहाज वहां आ सकें। अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड के एमडी करण अडानी ने बताया है कि उनका प्लान 2028 तक विजिंजम इंटरनेशनल ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल में 2.4 बिलियन डॉलर निवेश का है। इस विस्तार से पोर्ट की क्षमता पांच गुना बढ़कर 50 लाख TEU हो जाएगी जो शुरुआती 30 लाख TEU के प्लान से कहीं ज्‍यादा है। TEU का इस्‍तेमाल अक्सर कंटेनर जहाजों की क्षमता, बंदरगाहों के थ्रूपुट और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कंटेनरों की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है। TEU का मतलब ट्वेंटी-फुट इक्विपवैलेंट यूनिट (टीईयू) होता है। यह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग में कंटेनरों की मात्रा को मापने के लिए इस्तेमाल होने वाली स्‍टैंडर्ड यूनिट है।

अडानी ग्रुप ने प्‍लान कर द‍िया है चेंज

गौतम अडानी के बेटे करण ने बताया है कि पहले यह विस्तार 2045 तक पूरा होना था। लेकिन, अब इसे घटाकर 2028 कर दिया गया है ताकि अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ सके। इसमें अभी चीन सबसे आगे है। दक्षिण भारत के सिरे पर स्थित होने के कारण विजिंजम की जगह बहुत रणनीतिक है। यह प्रमुख अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री मार्गों के पास है। यहां पानी बहुत गहरा है। इससे बड़े जहाज आसानी से आ जा सकते हैं।

करण अडानी के मुताबिक, पहले यह निवेश 10,000 करोड़ रुपये यानी 1.2 अरब डॉलर का था, लेकिन अब इसे दोगुना करके इसमें जहाजों के लिए ईंधन सुविधा, लग्जरी क्रूज टर्मिनल और 20 लाख टन की सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट भी शामिल की गई है।

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₹200000000000 गौतम अडानी के ‘डबल’ से चीन की नींद क्‍यों होगी हराम, यह बड़ा प्‍लान कैसा?

दिग्‍गज उद्योगपति गौतम अडानी दक्षिण भारत में बने नए मेगा पोर्ट विजिंजम में अपना निवेश दोगुना करके 2.4 अरब डॉलर (करीब 20,000 करोड़ रुपये) करने जा रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि पोर्ट का विस्तार तेजी से हो। दुनिया के सबसे बड़े जहाज वहां आ सकें। अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड के एमडी करण अडानी ने बताया है कि उनका प्लान 2028 तक विजिंजम इंटरनेशनल ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल में 2.4 बिलियन डॉलर निवेश का है। इस विस्तार से पोर्ट की क्षमता पांच गुना बढ़कर 50 लाख TEU हो जाएगी जो शुरुआती 30 लाख TEU के प्लान से कहीं ज्‍यादा है। TEU का इस्‍तेमाल अक्सर कंटेनर जहाजों की क्षमता, बंदरगाहों के थ्रूपुट और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कंटेनरों की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है। TEU का मतलब ट्वेंटी-फुट इक्विपवैलेंट यूनिट (टीईयू) होता है। यह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग में कंटेनरों की मात्रा को मापने के लिए इस्तेमाल होने वाली स्‍टैंडर्ड यूनिट है।

अडानी ग्रुप ने प्‍लान कर द‍िया है चेंज

गौतम अडानी के बेटे करण ने बताया है कि पहले यह विस्तार 2045 तक पूरा होना था। लेकिन, अब इसे घटाकर 2028 कर दिया गया है ताकि अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ सके। इसमें अभी चीन सबसे आगे है। दक्षिण भारत के सिरे पर स्थित होने के कारण विजिंजम की जगह बहुत रणनीतिक है। यह प्रमुख अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री मार्गों के पास है। यहां पानी बहुत गहरा है। इससे बड़े जहाज आसानी से आ जा सकते हैं।

करण अडानी के मुताबिक, पहले यह निवेश 10,000 करोड़ रुपये यानी 1.2 अरब डॉलर का था, लेकिन अब इसे दोगुना करके इसमें जहाजों के लिए ईंधन सुविधा, लग्जरी क्रूज टर्मिनल और 20 लाख टन की सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट भी शामिल की गई है।

दुनिया के सबसे बड़े जहाज भारतीय पोर्ट पर नहीं आते

हाल ही में इस पोर्ट पर पहला ‘मदर शिप’ आया जो ए.पी. मोलर-मर्सक की ओर से ऑपरेट किया जाने वाला एक कंटेनर जहाज था। पोर्ट MSC मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी और हैपैग-लॉयड जैसी अन्य बड़ी कंटेनर लाइनों के साथ भी बातचीत कर रहा है। हालांकि, हैपैग-लॉयड का अभी विजिंजम को अपने नेटवर्क में शामिल करने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन, उनके एक प्रवक्ता ने कहा कि भविष्य में इस पर विचार किया जा सकता है।

अक्टूबर में शुरू हुआ विजिंजम ट्रांसशिपमेंट पोर्ट वैश्विक समुद्री नक्शे पर भारत को एक मजबूत स्थिति में लाने के अडानी समूह के बड़े लक्ष्य को दर्शाता है। पहले दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज भारत के बंदरगाहों पर नहीं आते थे क्योंकि यहां पानी पर्याप्त गहरा नहीं था। वे कोलंबो, दुबई और सिंगापुर जैसे बंदरगाहों को चुनते थे। इस नए निवेश से मौजूदा बर्थ और ब्रेकवाटर का भी विस्तार होगा। इससे पोर्ट दुनिया के कुछ सबसे बड़े जहाजों को संभालने में और सक्षम हो जाएगा। यह पोर्ट अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के पास है जहां से दुनिया का 30% कार्गो ट्रैफिक गुजरता है।

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दुनिया के सबसे बड़े जहाज भारतीय पोर्ट पर नहीं आते

हाल ही में इस पोर्ट पर पहला ‘मदर शिप’ आया जो ए.पी. मोलर-मर्सक की ओर से ऑपरेट किया जाने वाला एक कंटेनर जहाज था। पोर्ट MSC मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी और हैपैग-लॉयड जैसी अन्य बड़ी कंटेनर लाइनों के साथ भी बातचीत कर रहा है। हालांकि, हैपैग-लॉयड का अभी विजिंजम को अपने नेटवर्क में शामिल करने का कोई इरादा नहीं है। लेकिन, उनके एक प्रवक्ता ने कहा कि भविष्य में इस पर विचार किया जा सकता है।

अक्टूबर में शुरू हुआ विजिंजम ट्रांसशिपमेंट पोर्ट वैश्विक समुद्री नक्शे पर भारत को एक मजबूत स्थिति में लाने के अडानी समूह के बड़े लक्ष्य को दर्शाता है। पहले दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज भारत के बंदरगाहों पर नहीं आते थे क्योंकि यहां पानी पर्याप्त गहरा नहीं था। वे कोलंबो, दुबई और सिंगापुर जैसे बंदरगाहों को चुनते थे। इस नए निवेश से मौजूदा बर्थ और ब्रेकवाटर का भी विस्तार होगा। इससे पोर्ट दुनिया के कुछ सबसे बड़े जहाजों को संभालने में और सक्षम हो जाएगा। यह पोर्ट अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के पास है जहां से दुनिया का 30% कार्गो ट्रैफिक गुजरता है।

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