मध्य प्रदेश में इंदौर के बाद भोपाल में भी स्पूतनिक-v वैक्सीन लगना शुरू हो गई। शुक्रवार से भोपाल के मिसरोद स्थित नोबल अस्पताल में इसकी शुरुआत की गई है। वैक्सीन लगाने के लिए आपको कोविन एप से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा कर स्लॉट बुक कराना होगा। इसके बाद तय समय पर अस्पताल पहुंचकर 1145 रुपए जमा करके वैक्सीन की पहली डोज लगवा सकेंगे। वैक्सीन की दूसरी डोज 21 दिन बाद लगवा सकते हैं, इसके लिए भी 1145 रुपए ही देना होगा।
नोबल अस्पताल मिसरोद के डॉक्टर सर्वेश मिश्रा ने बताया कि 9 जुलाई को 94 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। शनिवार को 100 लोगों को वैक्सीन लगाने का प्लान किया गया है। इसके अलावा अस्पताल के पास 120 डोज बाकी है। डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि स्पूतनिक-v वैक्सीन लगाने वालों लोगों ने बातचीत में बताया कि उनको कोवीशील्ड और कोवैक्सीन आसानी से उपलब्ध हो रही थी, लेकिन वह स्पूतनिक-v वैक्सीन का इंतजार कर रहे थे।
स्पूतनिक-V कोवीशील्ड और कोवैक्सिन से कितना अलग है?
इसका पैटर्न पूरी तरह से अलग है। डबल वैक्टर आधारित एडिनो वायरस (ह्यूमन) फुल लेंथ स्पाइक प्रोटीन तकनीक होती है। इसमें डेड एडिनो वायरस मानव शरीर में जाता है। यह नुकसानदायक नहीं होता है। यह ब्लड में उस जेनेटिक मटेरियल को लेकर जाता है जो कि कोविड वायरस में होता है। यह शरीर में एंटीबॉडीज बनाता है। इसमें एक बदलाव यह भी है कि पहली और दूसरी डोज का वाॅयल अलग है। ऐसे में सेकेंड डोज बूस्टर डोज की तरह काम करता है।
पहले डोज के बाद दूसरा डोज कब लगवा सकते हैं?
पहला डोज लगने के 21 दिन से लेकर तीन महीने के बीच में लगवा सकते हैं। पहले डोज के सर्टिफिकेट दिखाने के बाद दूसरा डोज लगाया जाएगा। इसमें पहली डोज के बायल और दूसरी डोज के वायल में अंतर है। ऐसे में हमें वायल को बचाकर रखने की जरूर नहीं है।
स्पूतनिक-V की डोज लगने के तुरंत बाद क्या कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते है?
स्पूतनिक-V सुरक्षित वैक्सीन है। साइड इफेक्ट्स के मामले में कोवीशील्ड से कई गुना बेहतर व सुरक्षित है। अगर बुखार आएगा भी तो बहुत सीमित केवल 99℃ तक।
वैक्सीनेशन से जुड़े कुछ और सवाल
अगर पहले से किसी अन्य कंपनी की वैक्सीन (सिंगल या डबल डोज) लगवा चुके हैं, तो क्या स्पूतनिक-V की डोज भी ली जा सकती है?
नहीं, अभी मान कर चलें कि सभी वैक्सीन सुरक्षित हैं। कोरोना इंफेक्शन की गंभीरता से बचाती हैं। कोई भी वैक्सीन लगवाने के बाद कम से कम 6 महीने का इंतजार करें। शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा को चेक कराएं। 6 माह के बाद एंटीबॉडी में कमी आने पर डॉक्टरों की सलाह पर बूस्टर डोज के रूप में इसे लगवा सकते हैं।
स्पूतनिक-V के बारे में यह कहा जा रहा था कि एक ही डोज काफी है, तो दूसरी क्यों?
स्पूतनिक-V दो डोज की ही वैक्सीन है। रूस में भी इसे दो डोज के अनुसार ही लगाया जाएगा। ‘स्पूतनिक लाइट’ सिंगल डोज वैक्सीन है।
क्या प्रेग्नेंट वीमन स्पूतनिक-V वैक्सीन लगवा सकती है?
रूस की हेल्थ मिनिस्ट्री ने प्रेग्नेंट वीमन को स्पूतनिक-V वैक्सीन लगाने की अनुमति दे चुका है, पर अभी आईसीएमआर (ICMR) के दिशा-निर्देश नहीं आए हैं। अभी इंतजार करना होगा।
कैसी है स्पूतनिक-V वैक्सीन?
रूस में बनी इस वैक्सीन के फेज-3 के ट्रायल का इंटरिम एनालिसिस 2 फरवरी 2021 को पब्लिश हुआ। उस समय तक कोरोना वायरस के कई वैरिएंट आ चुके थे। बावजूद इसके पहले की वैक्सीन के मुकाबले इसकी एफीकेसी (प्रभाव) 90% से ज्यादा पाई गई, जो अब तक की सर्वाधिक है। इस वैक्सीन को जरूरत पड़ने पर आसानी से ट्रांसपोर्ट भी किया जा सकता है।

स्पूतनिक-V वैक्सीन लगवाते हुए।
कोवीशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-V में फर्क
- कोवीशील्ड – सिंगल वेक्टर आधारित एडिनो वायरस (चिंपैंजी) स्पाइक प्रोटीन तकनीक
- कोवैक्सिन – सिंगल वेक्टर आधारित एडिनो वायरस (ह्यूमन) इनएक्टिवेटेड वायरस तकनीक
- स्पूतनिक V – डबल वेक्टर आधारित एडिनो वायरस (ह्यूमन) फुल लेंथ स्पाइक प्रोटीन तकनीक
यही कारण है कि कई विशेषज्ञ स्पूतनिक-V को डेल्टा वैरिएंट के लिए अब तक की सबसे इफेक्टिव वैक्सीन बताते हैं। दावा है, इस वैक्सीन की कोरोना से संक्रमण से बचाने की क्षमता 90% से ज्यादा है, जो सबसे खतरनाक डेल्टा+ वैरिएंट के खिलाफ भी रोकथाम करता है।
जानेंं, स्पूतनिक-V के फायदे
- वैक्सीन के असरदार होने के पीछे उम्दा तकनीक।
- वैक्सीन लगाने में लगभग न के बराबर साइड इफेक्ट्स।
- वैक्सीन लगने के बाद बुखार के आने की संभावना बहुत कम, यदि आया भी तो 99-C से ज्यादा नहीं।
- अधिकतम प्रभाव – थकान लगना व बॉडी पेन के माइल्ड सिंप्टम्स की संभावना।
पहले डोज और दूसरे डोज के बीच का अंतर
- कोवीशील्ड : 84 दिन बाद (पहली डोज लगने के 84 दिन बाद दूसरी डोज, विदेश यात्रा करने वालों के लिए इसे वापस से 28 दिन किया गया है।)
- कोवैक्सिन : 28 दिन बाद (पहली डोज लगने के 28 दिन बाद दूसरी डोज)
स्पूतनिक- V : 21 दिन बाद (पहली डोज लगने के 21 दिन बाद दूसरी डोज)