ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जुलाई 2021 इतिहास का सबसे गर्म महीना बन चुका है। पिछले 142 सालों से तापमान रिकॉर्ड किए जा रहे हैं, लेकिन किसी भी महीने का तापमान इतना ज्यादा नहीं था, जितना जुलाई के महीने में था। शोधकर्ता बताते हैं कि पूरी संभावना है कि 2021 रिकॉर्ड पर 10 सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन नए वैश्विक आंकड़ें जारी किए हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ने एक प्रमुख रिपोर्ट में बताया है कि दीर्घकालिक परिवर्तनों का असर हमारे ग्रह पर पड़ा रहा है। इसी वजह से यहां अत्यधिक गर्मी पड़ रही है।
एनओएए के प्रबंधक रिक स्पिनराड ने कहा, “इस मामले में, पहली जगह सबसे खराब जगह है। जुलाई आमतौर पर दुनिया में साल का सबसे गर्म महीना होता है, लेकिन जुलाई 2021 ने अब तक का सबसे गर्म जुलाई का महीना रहा है और इतिहासका सबसे गर्म महीना भी बन चुका है।” उन्होंने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा, “यह नया रिकॉर्ड दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन से बने परेशानी भरे और विघटनकारी मार्ग को जोड़ता है।”
2016 की जुलाई को पछाड़कर नंबर 1 बना जुलाई 2021
20वीं सदी के औसत 15.8 डिग्री सेल्सियस से ऊपर भूमि और समुद्र की सतह का संयुक्त तापमान 0.93 डिग्री सेल्सियस था। रिकॉर्ड शुरू होने के बाद 142 सालों में यह सबसे गर्म जुलाई है। यह जुलाई 2016 में सेट किए गए पिछले रिकॉर्ड की तुलना में 0.01 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। 2019 और 2020 में भी जुलाई का तापमान 2016 के स्तर तक पहुंचा था। भूमि-सतह का तापमान जुलाई के महीने में अब तक का सबसे ज्यादा तापमान था।
एशिया में भी 11 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा
एशिया में जुलाई 2021 का महीना सबसे गर्म रहा। इससे पहले जुलाई 2010 में एशिया का तापमान सबसे ज्यादा था। स्पिनरैड ने कहा, “दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के तरीकों का सबसे सटीक मूल्यांकन दिया है। यह एक गंभीर आईपीसीसी रिपोर्ट है जिसमें पाया गया है कि मानव प्रभाव असमान रूप से जलवायु परिवर्तन का कारण है, और यह पुष्टि करता है कि बदलाव व्यापक और तेजी से तेज हो रहे हैं।”
ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना जरूरी
आईपीसीसी रिपोर्ट ने अगले दशकों में ग्लोबल वार्मिंग के 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर को पार करने की संभावनाओं का अनुमान किया था, और पाया कि जब तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तत्काल, तीव्र और बड़े पैमाने पर कमी नहीं होती है, तब तक वार्मिंग 1.5 के करीब रहेगी या फिर 2 डिग्री सेल्सियस भी पहुंच सकती है। इन हालातों का सामना करना इंसानों के लिए बहुत मुश्किल होगा।