कितनी सरकारें आई कितनी सरकारी गई लेकिन किसी ने भी मोची लोगों की ओर ध्यान नहीं दिया। पहले काफी जगह में मोची की दुकाने हुआ करती थी लेकिन शासन की बेरुखी के कारण इसकी दुकानें भी कम हो गई है।
यह भी है कि नई युवा पीढ़ी इस कार्य को करने रुचि नहीं दिखा रही है इसका कारण सरकार की नीति सही नहीं होना ही सामने आ रहा है।
आपको बताये कि अन्य प्रदेशों में मोची कार्य करने वाले लोगों को पक्की दुकान या गुमठी बनाकर दी जाती है, यही नहीं उनके काम में उपयोग आने वाले औजार सामग्री एवं शासन की ओर से अनुदान राशि भी मिलती है लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा कुछ भी नहीं है। पिछले कई वर्षों से इनके व्यवसाय की ओर शासन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। यहां तक की यह लोग जहां छोटी सी दुकान बनाकर कार्य करते हैं वहां से भी अतिक्रमण के नाम पर हटा दिया जाता है जिसके कारण उन्हें अपना कार्य करने जगह के लिए भी परेशान होना पड़ता है।
जूते चप्पल सिलने और बेचने का कार्य करने वाले लोगों को इस बात का भी मलाल है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सभी समाज के लोगों की महापंचायत भोपाल में बुलाई गई जिसमें उनकी समस्याओं को सुनकर उसका निराकरण किया गया। लेकिन इनके समाज के लोगों की महापंचायत नहीं बुलाई गई,
समाज के लोगों का कहना है कि राजीव गांधी के समय में सन 1984 में गुमठी और अनुदान भी मिला था। साथ ही हर चौक चौराह में जगह भी स्थाई दी जाती थी लेकिन अब कोई व्यवस्था ही नहीं है। भोपाल के टीटी नगर चौक में मोचियों को 50 पक्की दुकानें शटर वाली बनाकर दी गई है, महाराष्ट्र के नागपुर में भी हर चौक चौराहे में मोचियों की दुकाने शेड वाली देखने मिलेगी। कई साल पहले तीन-तीन हजार रुपये का अनुदान भी दिया गया था, लेकिन अब उनकी ओर सरकार द्वारा बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
निवर्तमान पार्षद और कांग्रेसी नेता सफ़कत खान बताते है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा इनके लिए योजना बनाकर उसको जमीनी स्तर पर हकीकत में तब्दील किया था, लेकिन यह वर्तमान सरकार बातें तो करती है पर जमीनी स्तर पर कार्य नहीं दिख रहा है।
समाज के इस अंतिम छोर में बसे व्यक्ति की इस परेशानी और आपबीती दिखाने का उद्देश्य बस यही कि सरकार की नजर भी इन पर इनायत हो जाए तो इनके जीवन की नैया भी बाकी वर्ग की तरह सरकार की योजना रूपी पटरी पर आ जाए।