प्रदेश सरकार ने करीब 2 वर्ष पूर्व महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का वादा किया था। जहां महिला समूह के माध्यम से उन्हें विभिन्न कार्य देकर उनके स्वरोजगार की व्यवस्था करने और उन्हें। अपने पैरों पर खड़ा करने को लेकर कई कसीदे गड़े गए थे। जहा महिलाओं की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिला समूह द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों की धान खरीदने को लेकर 2 वर्ष पूर्व एक आदेश जारी किया गया था। जिसका पालन करते हुए स्थानीय प्रशासन ने समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी का कार्य जिले की कई महिला समूहो को दिया था।जिससे न सिर्फ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला था बल्कि महिलाएं आत्मनिर्भर भी हो रही थी ।लेकिन महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई यह योजना महज 2 साल में ही फुस हो गई और इस वर्ष केवल बालाघाट जिला ही नहीं बल्कि संपूर्ण मध्य प्रदेश में किसी भी महिला समूह को उपार्जन का कार्य नना देकर उन्हें इस कार्य से वंचित कर दिया गया है। 1 दिसंबर से होने शुरू होने वाली धान खरीदी को लेकर अब तक महिला समूह के लिए कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं जिसके चलते समूह की महिलाओं में प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रोश अपना रहा है। जहां पिछले दो वर्षों से उपार्जन कार्य कर रही 24 समूहो की नाराज महिलाओं ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन सौपा जिसमें उन्होंने पूर्व की भांति उन्हें उपार्जन का कार्य देकर आत्मनिर्भर बनाने की मांग की। उधर उपार्जन का कार्य महिला समूह से करने को लेकर शासन द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है जिसको लेकर सम्बधित अधिकारी, भी समूह की इन महिलाओं को संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। जिसपर महिलाओं ने नाराजगी व्यक्त करते हुए जल्द से जल्द उन्हें धन उपार्जन की जिम्मेदारी सौंप जाने की मांग की है
पहले साल 13,दूसरे साल 27 ,तो इस साल किसी भी समूह को नहीं दिया उपार्जन का कार्य
आंकड़ों पर यदि गौर किया जाए तो महिलाओं के सशक्तिकरण व उन्हें आत्मनिर्ण बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अगर 2 वर्ष पूर्व महिला समूह से धान की खरीदी करने के कार्य शुरू किया गया थाम जहां योजना के पहले वर्ष 2021-22 में ज़िले में 13 महिला समूहो ने समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी का कार्य किया था। वही योजना के दूसरे वर्ष 2022-23 में 27 समूह की महिलाओं ने करीब तीन 30 उपार्जन केंद्रों पर समर्थन मूल्य से किसानों का उपार्जन खरीदने का काम किया था। जिसकी संपूर्ण मध्य प्रदेश स्तर पर सरहाना की गई थी ।जहां सभी समिति की महिलाओं ने धान उपार्जन समूह की महिलाओं सहित अन्य महिलाओं ने भी इस क्षेत्र में स्वरोजगार की संभावनाओं को तलाश कर अपने-आपने समूह का आजीविका मिशन के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराया था ।वही उपार्जन सहित अन्य कार्य दिए जाने का आवेदन दिया था। संभावना जताई जा रही थी कि इस बार कम से कम 50 महिला समूह द्वारा जिले के विभिन्न उत्पादन केंद्रों में धान की खरीदी का कार्य दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि इस बार महिला समूह के माध्यम से उपार्जन का कार्य करने को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा अब तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है ऐसे में अब महिलाओं को इस कार्य से वंचित होने का डर सता रहा है जिसके चलते वे शासकीय कार्यलयों के चक्कर काटने को मजबूर है।
यह हो सकती है असली वजह
बताया जा रहा है की पहले और दूसरे वर्ष को मिलाकर 30 उपार्जन केंद्रों पर समर्थन मूल्य से धान खरीदी का कार्य महिला समूहों द्वारा किया गया था। जिसमें से 03 समितियां घाटे में चल रही है। जहां तीनों महिला समिति से अब तक रिकवरी नहीं हो पाई है।इन महिला समितियां से करीब 6 से 7 लाख रुपए वसूल जाना है जो अब तक संबंधित विभाग वसूल नहीं पाया है ।बताया जा रहा है कि अन्य 27 महिला समितियो ने रिकवरी की सहमति दे दी है। तो वहीं अब तक प्रदेश सरकार ने कई महिला समूह समितियो को उनका कमीशन भी नहीं दिया है। शायद यही वजह हो सकती है कि इस बार इन महिलाओं को धन उपार्जन कार्य से वंचित रखा जा रहा है।
कहां से कितने समूहों ने की थी खरीदी
- बालाघाट विकासखंड से 06, – बैहर विकासखंड से 05 ,- कटंगी विकासखंड से 05,- किरनापुर विकासखंड से 02,- खैरलांजी विकासखंड से 03,- लालबर्रा से 01, लांजी से 02,परसवाड़ा व वारासिवनी से 3-3 समूहो ने धान खरीदी की थी
अवकाश को छोड़कर, अब सिर्फ 4 दिन शेष
प्रदेश में 1 दिसंबर से 19 जनवरी तक समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी होनी है। जहां शनिवार रविवार और अवकाश के दिनों को छोड़कर अब धान खरीदी का कार्य शुरू होने में महज 04 दिन शेष रहे गए हैं। ऐसे में अब तक महिला समूह द्वारा धान खरीदी करने को लेकर शासन द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।उधर खरीफ फसलों के उपार्जन के लिए शुक्रवार से स्लाट बुकिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिले में 178 खरीदी केंद्रों की स्थापना की गई है, जहां पंजीकृत 1 लाख 17 हजार 596 कृषकों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जाएगी। इस वर्ष धान कॉमन का समर्थन मूल्य 2183 रुपये प्रति क्विंटल एवं धान ग्रेड-ए 2203 रुपये प्रति क्विंटल है। यदि इन शेष दिनों मे आदेश आ भी जाते हैं तो प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ महिला समूह को धान खरीदी की व्यवस्था बनाने में लंबा समय लगेगा। वहीं अब तक आदेश न आने पर ऐसा ही लग रहा है मानो इस वर्ष महिला समूह के माध्यम से धान की खरीदी नहीं की जाएगी।
ना पेमेंट दे रहे हैं ना काम दे रहे हैं- उईके
महिला समूह को धन उपार्जन का कार्य दिए जाने की मांग को लेकर 24 महिला समूह के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंची गोंडवाना आजीविका स्व-सहायता समूह, माना (गढ़ी) की भगवंती उइके ने बताया कि पिछली बार हमारे दो समूहों की 12 महिलाओं को परसामऊ और गढ़ी में दो धान खरीदी केंद्र आबंटित हुए थे। हमें पुराना भुगतान भी नहीं किया गया है जबकि हमारे ऊपर 12 लाख रुपये का कर्ज है। कर्ज लेकर हमने धान खरीदी का कार्य किया था अब हमें धान खरीदी को लेकर कोई आदेश नहीं दिए जा रहे हैं शासन द्वारा ना तो हमारा पिछला पेमेंट दिया जा रहा है और ना ही काम दिया जा रहा है। जिसको लेकर हम परेशान हैं।
पिछले साल का भी नहीं हुआ हिसाब- आरती
निर्मल स्व सहायता समूह हट्टा की अध्यक्ष आरती साठे ने बताया कि अधिकारी समूहों को धान खरीदी केंद्र आबंटन से संबंधित आदेश नहीं आने का हवाला दे रहे हैं जबकि पिछली बार हमने पूरी ईमानदारी से धान खरीदी का कार्य किया था। जबकि धान खरीदी के सोसाइटी वालों को निर्देश दिए जा चुके हैं जब हमें धान खरीदी की अनुमति देना ही नहीं था तो फिर पिछले साल हमसे धान की खरीदी क्यों कराई। पिछले साल का हिसाब भी अब तक नहीं हुआ है किस पर बैलेंस आ रहा है इसका लेखा-जोखा भी नहीं दिया गया है हमें हमारा कमीशन भी नहीं दिया गया है अधिकारी के पास समस्या लेकर जाओ तो वह बोलते हैं हमारे पास आदेश नहीं है ऐसे में हम क्या करें समझ नहीं आ रहा है।
अधिकारी हमें गुमराह कर रहे हैं- कौशल्या
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान समनापुर समिति पदाधिकारी कौशल्या वचले ने बताया कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि इस बार हमें धान खरीदी का कार्य क्यों नहीं दिया जा रहा है। अधिकारी लोग हमें संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं ।यह हमको गुमराह कर रहे हैं। स्पष्ट कर देना चाहिए कि कम देना है या नहीं।
पहले कहे थे 3 वर्षों तक काम देंगे 1 वर्ष में ही हटा रहे हैं-डिलन बाई
वही समनापुर समिति की एक अन्य पदाधिकारी डिलन डहरवाल ने बताया कि पिछले वर्ष जो धान खरीदी हुई थी उसका पेमेंट हमें अब तक नहीं मिला है ।धान खरीदने के लिए जो हमने सामान खरीदा था उसका पैसा फंसा हुआ है। हिसाब तक नहीं किए हैं जिले में करीब 30 समितियो ने धान खरीदी का कार्य किया था हमें बताया गया था कि 3 वर्षों तक नारी सशक्तिकरण के तहत धान खरीदी का कार्य महिलाओं समूह द्वारा किया जाएगा ।लेकिन एक वर्ष बाद ही हमें नकारा जा रहा है।
आदेश आएंगे तो उसका पालन किया जाएगा- रश्मि मेश्राम
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान जिला आजीविका मिशन कार्यालय जिला प्रबंधक कृषि, रश्मि मेंश्राम ने बताया कि पिछले दो वर्षों से महिला समूह द्वारा धान उपार्जन का कार्य लिया जा रहा था। पहले वर्ष 13 तो दूसरे वर्ष 27 समितियां के माध्यम से 30 धान खरीदी केंद्रों में धान उपार्जन का कार्य कराया गया था। इस वर्ष महिला समूह के माध्यम से धान उपार्जन को लेकर कोई आदेश नहीं आए हैं इसीलिए इस मामले में कुछ कहा नहीं जा सकता ।इसको लेकर आगामी समय में जो भी आदेश आएंगे उसे आदेश का पालन किया जाएगा
कोई दिशा-निर्देश नहीं आए हैं- ज्योति बघेल
उधर इस पूरे मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान जिला ख़ाघ एवं आपूर्ति अधिकारी ज्योति बघेल आर्य ने बताया कि धान खरीदी में स्व सहायता समूहों को शामिल करना है या नहीं, इसको लेकर शासन से अभी तक कोई दिशा-निर्देश नहीं आए हैं। शासन से आदेश मिलने पर ही समूहों को उपार्जन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।