अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन को 200 विद्वानों ने चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में कहा गया है कि कई राज्यों की राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव हो रहा है। वहां नियम बदल रहे हैं। ये नियम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की न्यूनतम शर्तों को पूरा नहीं करते हैं। बाइडेन के लिए यह चिट्ठी चुनौती मानी जा रही है, क्योंकि वे राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान कहते रहे थे कि अमेरिका में फिर से सही मायने में लोकतंत्र की वापसी होगी।
कुछ विश्लेषण के आधार पर यह समझ आ रहा है कि यह चिट्ठी क्यों लिखी गई है। जैसे- डेमोक्रेट नेता मतदाता पहचान और डाक मतपत्रों के नियमों में बदलाव की निंदा कर रहे हैं। उनका कहना है कि बदले हुए नियमों के कारण कुछ दक्षिणी राज्यों में सिर्फ 2% अफ्रीकी-अमेरिकियों का वोट देने के लिए रजिस्ट्रेशन हो सका था।
वहीं, एरिजोना के एक जनप्रतिनिधि ने एक विधेयक पेश किया है। अगर यह विधेयक कानून बन गया तो इसे राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे भी पलटे जा सकते हैं। साथ ही राज्य को चुनाव की निगरानी का अधिकार भी मिल सकता है। जॉर्जिया की राज्य विधानसभा काउंटी बोर्डों का नेतृत्व अपने हाथों में लेने की तैयारी कर रही है। टेक्सास भी एक विधेयक पर विचार कर रहा है। इसमें ऐसे प्रावधान हैं, जिनसे चुनाव अधिकारियों पर मुकदमा चलाना आसान हो जाएगा।
इन सभी राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी का वर्चस्व है। वहीं, एक वर्ग यह भी कह रहा है कि राज्यों में नियमों में बदलाव की तैयारी के पीछे डोनाल्ड ट्रम्प का हाथ है। वे प्रतिनिधियों को भड़का रहे हैं। ट्रम्प ने अभी से 2024 के राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं रिपब्लिकन समर्थकों का एक वर्ग ट्रम्प के प्रति बेहद निष्ठा रखता है। तीन में से दो रिपब्लिकन वोटर मानते हैं कि बाइडेन चुनाव जीते ही नहीं थे।