2023 का श्रीगणेश पांच शुभ योग से:पूरे साल 162 सर्वार्थ सिद्धि योग, 143 रवि और 33 अमृत सिद्धि योग भी

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नए वर्ष- 2023 का शुभारंभ शिव, सिद्ध, सर्वार्थ सिद्धि रवि, बुधादित्य योग और अश्विनी नक्षत्र के बीच होगा। ज्योतिषी स्मिता पंडित के अनुसार इन पांच शुभ योगों के बीच सूर्यदेव से जुड़े तीन संयोग भी बन रहे हैं। पहला-इस दिन सूर्य धनु राशि में बुध के साथ रहते हुए बुधादित्य योग बनाएंगे। दूसरा- अश्विनी कुल 27 नक्षत्रों में पहला नक्षत्र है। ये अश्विनी कुमार हैं, जिनके नाम पर यह नक्षत्र है और यह सूर्य पुत्र हैं। तीसरा- साल के पहले दिन रविवार है, जिसके अधिपति देव स्वयं सूर्यदेव हैं। इससे लोग ऊर्जावान दिखाई देंगे।

पं. सोमेंद्र शर्मा ने बताया कि मार्कण्डेय पंचांग के मुताबिक 2023 में 162 सर्वार्थ सिद्धि योग, 143 रवि योग और 33 अमृत सिद्धि योग का संयोग बनेगा। नए साल में 14 पुष्य योग (नक्षत्र) भी रहेगा। मार्च और दिसंबर में दो बार पुष्य का संयोग रहेगा। सबसे ज्यादा सर्वार्थ सिद्धि योग जनवरी (16 बार) में रहेगा। सबसे ज्यादा रवि योग (14-14 बार) मार्च, अप्रैल, जुलाई और दिसंबर में रहेंगे। सबसे ज्यादा अमृत सिद्धि योग अप्रैल (6 बार) में रहेगा।

यह भी खास…

  • शनि- 17 जनवरी से पूरे वर्ष शनि कुंभ राशि में रहेंगे। कर्क, वृश्चिक राशि को ढैय्या और मकर, कुंभ तथा मीन राशि काे साढ़ेसाती।
  • गुरु- 21 अप्रैल तक मीन राशि में रहेंगे। इसके बाद पूरे वर्ष मेष राशि में रहेंगे।
  • हरिशयन- 29 जून से 23 नवंबर तक।

3 ग्रहण भी, पर भारत में एकमात्र दृश्य

पं. सोमेंद्र शर्मा के मुताबिक 2023 में तीन ग्रहण रहेंगे। 20 अप्रैल को खग्रास सूर्यग्रहण। 14 अक्टूबर को कंकण सूर्य ग्रहण तथा 28-29 की दरमियान खग्रास चंद्रग्रहण होगा। दोनों ही सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे। भारत में 28/29 अक्टूबर को खण्डग्रास चंद्रग्रहण दिखाई देगा।

साल का पहला दिन इसलिए खास

शर्मा के मुताबिक इस वर्ष साल 2023 एक विशेष ज्योतिषीय संयोग बन रहा है, तारीख- 1, नक्षत्रों के क्रम में पहला नक्षत्र- अश्विनी, राशियों के क्रम में पहली राशि मेष तथा वारों के क्रम में पहला वार रविवार। यह 2023 को एक सुखद संयोग प्रदान कर रहा है। सूर्य के प्रभाव से देश दुनिया में भारत तकनीकी क्षेत्र में अपना प्रभुत्व साबित कर सकता है।

शनि और गुरु अपनी राशि में रहेंगे

ज्योतिषी विष्णु राजौरिया के अनुसार 1 जनवरी को शनिदेव और गुरु बृहस्पति अपनी ही राशि में रहेंगे। जो शुभकारी रहेगा। मकर राशि के स्वामी शनि हैं और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। जब कोई ग्रह अपने ही घर या राशि में होते हैं तो वह शुभ फल प्रदान करता हैं।

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