प्रसूता महिलाओं को अस्पताल तक ले जाने और उन्हें घर पहुंचाने की सुविधा प्रदान करने की मंशा से मध्यप्रदेश शासन द्वारा जननी सुरक्षा वाहन सभी जिलों में उपलब्ध कराए गए। जिनके माध्यम से प्रसूता महिलाओं को सुविधा प्रदान की जाती थी। जननी वाहनों का संचालन बंद कर दिया गया है।
जिसके कारण जिले के सभी 26 जननी वाहनों के पहिये पूरी तरह शुक्रवार को दूसरे दिन भी शाम तक पूरी तरह थमें रहे।
जननी वाहन बंद रहने के कारण प्रसूता महिलाओं को अस्पताल ले जाने और अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए समस्याओं का सामना करने से इनकार नहीं किया जा सकता। जिला अस्पताल में कई प्रसुता महिलाओं और उनके परिजनों को जननी वाहन के लिए परेशान होते देखा गया। कई लोगों द्वारा स्वयं का वाहन बुलाकर या प्राइवेट वाहन लेकर महिलाओं को अस्पताल से घर ले जाया गया।
आपको बताये कि 8 दिसंबर की सुबह से जननी वाहन को बंद कर दिया गया है मध्य प्रदेश के लगभग सभी वेंडरो ने जननी वाहन बंद कर दिए हैं। इसके पीछे मामला यह बताया जा रहा है कि जननी सुरक्षा का टेंडर पहले जिगित्सा हेल्थ केयर को था, जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी का 8 दिसंबर को टेंडर समाप्त हो गया है मध्यप्रदेश शासन से। लेकिन इसे फिर 22 दिन का और एक्सटेंशन मिला है 31 दिसंबर तक। वहीं सभी वेंडरो का प्रति वाहन 50 हजार रुपये सिक्योरिटी राशि पहले से डिपाजिट है वह पैसा कंपनी में फंसा हुआ है और नवंबर माह का वाहनों का पेमेंट भी रुका हुआ है।
नवंबर माह का पेमेंट किया जाए और डिपॉजिट राशि जमा की जाए इसी मांग को लेकर सभी वेंडरों ने अपने जननी वाहन को खड़ा कर दिया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडेय से चर्चा करने का प्रयास किया गया लेकिन उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किए जाने के कारण पूरे मामले की और अधिक आधिकारिक जानकारी नहीं मिल सकी, आखिर आगामी दिनों में जननी एक्सप्रेस के पहिए थमे रहेंगे या पहले की तरह सड़क पर दौड़ेंगे।