एक ओर जहां देश के 8 राज्यों में कोरोना से बचाव के लिए दी जाने वाली वैक्सीन की करीब ढाई लाख डोज बर्बाद हो गई वहीं 29 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में तय डोज से 41 लाख से ज्यादा डोज की बचत की गई। इससे केन्द्र सरकार को करीब 62 करोड़ रुपए की बचत हुई जबकि 8 राज्यों में हुई वैक्सीन की बर्बादी की वजह से सरकार को करीब चार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
जानकारी के मुताबिक एक मई से 13 जुलाई के बीच देश भर में 2,49,648 वैक्सीन की डोज बर्बाद हो गई। जबकि इसी दौरान देश में 41,11,516 डोज की बचत की गई। दरअसल वैक्सीन कंपनियां एक वायल से 10 डोज लगाने का दावा करती हैं। जबकि वायल में इन तय डोज से थोड़ी ज्यादा वैक्सीन होती है। इसे स्वीकार्य वेस्टेज में गिना जाता है। मगर राज्य सरकारों के वैक्सीनेशन सेंटर्स पर इस बेकार जाने वाली मात्रा का भी इस्तेमाल किया गया है।
राजस्थान से ज्यादा वैक्सीन डोज मध्य प्रदेश ने बचाए
देश में वेस्ट होने वाली वैक्सीन बचाने के मामले में सबसे पहले केरल का नाम सामने आया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी केरल की इस पद्धति की तारीफ की थी। मगर पिछले 74 दिनों के आंकड़े बताते हैं कि इस काम में सबसे आगे तमिलनाडु है और उसके बाद पश्चिम बंगाल। राजस्थान ने 2,46,001 डोज बचाए हैं, जबकि मध्य प्रदेश ने 3,55,259 डोज बचाए हैं।
बिहार में सबसे ज्यादा 1.26 लाख डोज बर्बाद
एक मई के बाद से देश भर में ऐसे सिर्फ आठ राज्य हैं जहां अलग-अलग कारणों से करीब ढाई लाख वैक्सीन की डोज बर्बाद हुई। सबसे ज्यादा एक लाख 26 हजार वैक्सीन की डोज बिहार में बर्बाद हुई। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में 32,680 और त्रिपुरा में 27,252, दिल्ली में 19,989 और पंजाब में 13,613 डोज बर्बाद हुई है।