3.7 करोड़ युवा जिगर मा फूंक रहे आग , 4 सेकेंड में तंबाकू से 1 मौत

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जेम्स बॉन्ड सीरीज की एक चर्चित फिल्म 1962 में आई थी, जिसका नाम था, जेम्स बॉन्ड-डॉक्टर नो। उस वक्त के चर्चित अभिनेता सीन कोनरी इस फिल्म में जेम्स बॉन्ड के रोल में नजर आए थे। फिल्म में वो जब भी अपना परिचय देते तो ई-सिगरेट सुलगाते और कहते मेरा नाम- बॉन्ड है यानी जेम्स बॉन्ड। परिचय देने का यह स्टाइल बाद की जेम्स बॉन्ड फिल्मों में अपनाया गया। भारत समेत कई देशों में ई-सिगरेट को यह कहकर प्रचारित किया जाता है कि यह जोखिम रहित है और स्मोक फ्री है और यह सोशियली एक्सेप्टिबल है। हालांकि, पूरी दुनिया में यह साबित हो चुका है कि ई-सिगरेट भी सेहत के लिए उतनी ही खतरनाक है, जितनी कोई आम सिगरेट। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में हर 4 सेकेंड में 1 टोबैको यूजर अपनी जान गंवा रहा है। आज वर्ल्ड नो टोबैको डे है। इस मौके पर ई-सिगरेट के दुनिया में पांव पसारने की कहानी जानेंगे।

दुनिया में 400 अलग-अलग ब्रांड नाम से बिकती है ई-सिगरेट

1965 में पहली इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (e-cigarettes) बनी थी। इसका पेटेंट 2003 में कराया गया। हालांकि, ई-सिगरेट्स को पहली बार 2007 में उत्तर अमेरिका के मार्केट में उतारा गया था। तब से अब तक यह दुनियाभर में 400 से ज्यादा अलग-अलग बांड के नाम से बेची जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में ई-सिगरेट पीने की दर बड़ों के मुकाबले बच्चों में काफी ज्यादा है।

3.7 करोड़ युवा फूंक रहे हैं ई-सिगरेट, दिल-दिमाग सब ‘धुआं’

दुनियाभर में 130 करोड़ तंबाकू यूजर्स हैं। यह संख्या इससे अधिक भी हो सकती है। WHO के अनुसार, तंबाकू इस्तेमाल करने वालों में से आधे से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ती है। हर 4 सेकेंड में 1 तंबाकू यूजर की जान ले रहा है। वहीं, 13 से 15 साल के 3.7 करोड़ से ज्यादा किशोर ई-सिगरेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें भरपूर मात्रा में तंबाकू होता है। क्लीवलैंड क्लीनिक पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ई-सिगरेट में मौजूद निकोटीन और अन्य चीजें फेफड़ों के अलावा आपके दिल और मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। निकोटीन मस्तिष्क के विकास को नुकसान पहुंचा सकता है। ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है और आपकी धमनियों के रास्ते को संकरा बना सकता है।

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