मध्यप्रदेश में चुनाव से पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने समान नागरिक संहिता कानून का मुद्दा छेड़ दिया है। उन्होंने हाल ही में बड़वानी में कहा था कि एक ही पत्नी होनी चाहिए। हम एमपी में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए एक कमेटी गठित करने जा रहे हैं। शिवराज सिंह जब मंच से यह बात कह रहे थे, तो वहां एक मंत्री भी बैठे थे।
शिवराज ने जब यह कहा कि ऐसे कानून की जरूरत है, जिसमें किसी भी व्यक्ति की एक ही पत्नी का प्रावधान हो, ताकि महिलाओं का शोषण रोका जा सके। यह सुनते ही मंत्रीजी सन्न रह गए। उनके चेहरे पर बेचैनी के भाव दिख रहे थे। दरअसल, मंत्री की 4 पत्नियां हैं। उन्होंने 2018 में चुनावी हलफनामे में खुद ही इसका जिक्र किया है। चारों पत्नियों के नाम भी लिखे थे।
जब मुख्यमंत्री भाषण दे रहे थे, तब मंच पर बैठे अन्य अतिथि नेता, मंत्रीजी की तरफ देखकर मुस्कुराने लगे। फिर क्या था, मंत्रीजी ने अपनी गर्दन झुका ली। सुना है कि मंत्रीजी ने कार्यक्रम के बाद एक विधायक को अपनी पेशानी पर आए बल के बारे में बताया। उन्होंने कहा- मुझे इस बात का डर लग रहा था कि मुख्यमंत्री कहीं उनका नाम लेकर कुछ ना कह दें।
एक ‘सरकार’ की जयकार में लगे, दूसरे ‘डिनर’ से गायब
एमपी में अब चुनाव को एक साल ही बचा है, ऐसे में मंत्रियों और विधायकों को टिकट की चिंता सताने लगी है। इसमें भी खासकर सिंधिया समर्थक मंत्रियों को। सब अपने-अपने तरीके से फिल्डिंग में लग गए हैं।
एक मंत्री तो ऐसे हैं, जिन्होंने प्रशासनिक मुखिया के कंधे पर रखकर बंदूक चलाई, वे अब ‘सरकार’ की जय जयकार में लग गए हैं। ऐसा नहीं कि बंद कमरे में। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ‘सरकार’ की जय के नारे तक लगवा दिए।
जबकि दूसरे मंत्री ‘सरकार’ से इतने नाराज हैं कि वे श्यामला हिल्स में मंत्रियों के डिनर में शरीक नहीं हुए। सुना है कि उन्हें ‘सरकार’ पर नहीं, ‘महाराज’ पर भरोसा है कि वे ही नैया पार लगवाएंगे। ये वही हैं, जो अपने विभाग के मुखिया तय करने के लिए सूची लिए घूमते रहे, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
सुना है कि मंत्रियों को इस बात का डर सता रहा है कि एमपी में गुजरात का चुनावी मॉडल लागू हो गया तो…? ऐसे में कुछ मंत्रियों को ‘हर दीये में तेल’ डालने में ही भलाई समझ में आ रही है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें दिल्ली का आशीर्वाद मिलने पर ही भविष्य संवरने का भरोसा है।
अलग-थलग पड़े नेताओं का अमृत महोत्सव
बीजेपी के एक कद्दावर पूर्व मंत्री ने अमृत महोत्सव का ऐलान कर दिया है। यह अगले सप्ताह से शुरू करने की तैयारी है। संभावना है कि आयोजन दमोह में होगा। इसका निमंत्रण सभी को भेजा गया है, लेकिन उन नेताओं के यहां जुटने की खबर है, जो सरकार में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
वैसे तो आयोजक इसे गैर-राजनीतिक कार्यक्रम बता रहे हैं, लेकिन यह बीजेपी के नाराज नेताओं का जमावड़ा हो सकता है। इसे बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इसमें वे सभी नेता अपनी एकजुटता दिखा सकते हैं, जो 75 साल से ज्यादा उम्र के हैं। साथ ही वे नेता भी जिन्हें कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं की वजह से अपना राजनीतिक भविष्य संकट में लग रहा है।