1 जनवरी को जिले के किरनापुर तहसील क्षेत्र के हिर्री ग्राम के मटका टोला के 3 लड़को की सोननदी में डूब गए थे। जिसकी जानकारी लगने पर 2 जनवरी से लगातार एसडीआरएफ की टीम और स्थानीय स्तर पर मछुआरों द्वारा सोन नदी में डूबे हुए लड़कों के शव निकालने में लगी हुई थी। बहुत अधिक मशक्कत करने के बाद घटना के चौथे दिन 4 जनवरी की सुबह तीसरे लड़के का सोन नदी से बाहर निकाला गया।
सम्भावना वक्त की जा रही है कि
सोन नदी के कदम घाट में 1 जनवरी को घर से मोबाइल रिचार्ज कराने के नाम पर निकले तीन लड़के नदी नहाने उतरे होंगे और संभवत इस दौरान गहरे पानी में जाने की वजह से नदी में डूब गए होंगे। 2 जनवरी को परिवारजनों ने खोज खबर शुरू की गई , तो इस घाट पर मोटरसाइकिल और लड़कों के कपड़े मिले इसके बाद जानकारी पुलिस को दी गई और एसटीआरएफ और स्थानीय मछुआरों द्वारा डूबे हुए लड़कों को नदी से बाहर निकालने के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।
2 जनवरी की शाम तक राजा नागेश्वर 15 वर्षीय का शव को बरामद किया गया। लेकिन अब भी दो और लड़के दया बारेकर उम्र 17 वर्ष, लक्की नागेश्वर उम्र 17 वर्ष के शव नहीं मिल पाए थे।
अंधेरा होने की वजह से ऑपरेशन बंद किया गया। लेकिन 3 जनवरी को पुनः सर्च ऑपरेशन शुरू किया जाना था । उसके पहले ही एक और बालक का शव नदी में अपने आप ओपन कर ऊपर आ गया। जिसे बाहर निकाला गया। उसकी पहचान दया बारेकर उम्र 17 वर्ष के रूप में की गई।
उसके बाद ऐसा लगा कि तीसरी बालक लक्की का शव भी बड़े जल्दी ही एसडीआरएफ और स्थानीय मछुआरों द्वारा खोज लिया जाएगा। लेकिन 3 जनवरी को पूरा दिन मशक्कत करने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली ऑपरेशन बंद कर दिया गया।
4 जनवरी को पुनः ऑपरेशन शुरू किया जाता है इस बीच सोन नदी में एक और बालक का शव उफनता हुआ दिखाई दिया। जिसे बाहर निकाला गया और उसकी पहचान इस घटना में डूबे तीसरे बालक लक्की नागेश्वर उम्र 17 वर्ष के रूप में की गई।
इस घटना के बाद एक बार फिर कई सवाल खड़े हो गए की छोटी उम्र के बच्चे नदी में नहाने का कितना अधिक शोक मन में संजोए रखते हैं, परिवार को बिना बताए नदी नहाने चले जाते हैं इस कारण एक बार फिर तीन लड़के नदी में डूब गए और तीन घर के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए।
ऐसा नहीं है कि यह पहला मौका है जब इस तरह का घटनाक्रम हुआ हूं पिछले वर्ष में ही शहर के आमाघाट में कुछ बच्चों नदी नहाने आए और डूब कर उनकी मौत हो गई थी।
यही नहीं बीते वर्ष में गांगुलपरा के झरने में डूब कर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के भी कुछ लड़कों की मौत हुई थी।
इसलिए ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए स्वयं परिजनों को ही अपने बच्चों को जागरूक करना होगा। जिससे भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृति ना हो।