6 वर्ष से नए कार्यालय के लिए इंतजार में उद्यानिकी विभाग

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शहर के मोती गार्डन के ठीक सामने वर्षों से संचालित हो रहे उद्यानिकी विभाग की जमीन पर जैसे प्रशासन के वरिष्ठ नुमाइंदों की नजर क्या लगी? एक एक कर सभी ने अपनी मर्जी के अनुसार इस जमीन का अधिग्रहण कर लिया? नतीजा बीते 6 बरस से उद्यानिकी विभाग अपने नए कार्यालय के लिए भटकता हुआ दिखाई दे रहा है। बमुश्किल जिला मुख्यालय से लगे हुए गोगलाई गाँव में 25 एकड़ जमीन तो मिली लेकिन कार्यालय से लेकर नर्सरी तैयार करने के लिए 1 वर्ष से बजट का इंतजार किया जा रहा है।

दरअसल आपको बताते हैं कि किस तरह अपनी ही जमीन से उद्यानिकी विभाग को जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने बेगाना कर दिया। वर्ष 2012 के बाद शासन की ओर से शहर में बेहतर आवागमन के लिए गौरव पथ निर्माण प्रस्तावित किया गया। सड़क निर्माण के लिए सर्वे हुआ तो अतिक्रमण से लेकर कुछ शासकीय विभागों की जमीन का अधिग्रहण करने की योजना बनाई गई। शहर के आंबेडकर चौक से लेकर मोती तालाब चौक तक सबसे ज्यादा यदि नुकसान किसी विभाग को हुआ तो वह था कृषि और उद्यानिकी विभाग।

हालांकि कृषि विभाग की महक पार्किंग खराब हुई लेकिन उद्यानिकी विभाग का तो जैसे पूरा नक्शा ही बदल गया पहले गौरव पथ के लिए बड़े साहब ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया उद्यानिकी विभाग ने अर्जी लगाई कि अतिक्रमण होने के बाद उसे अब जमीन कम पड़ रही है बस क्या था। जैसे साहब को इस पत्र का इंतजार रहा हो उसके बाद उन्होंने तो उद्यानिकी विभाग की जमीन की बंदरबांट शुरू कर दी और पहले पुलिस वेलफेयर पेट्रोल पंप और उसके बाद पुलिस उपमहानिरीक्षक कार्यालय के लिए जमीन का आवंटन कर दिए गया।

बची कुची थोड़ी सी जमीन पर अभी भी उद्यानिकी विभाग का कब्जा है लेकिन जैसे ही उद्यानिकी विभाग जमीन आवंटन और बजट आवंटन का मसला सुलझ जाएगा उस पर भी किसी ना किसी विभागीय अधिकारी की नजर पढ़ना तय माना जा रहा है।

इन सबके बीच बीते 6 बरस से उद्यानिकी विभाग के भीतर नर्सरी तैयार कर सस्ते दामों पर फल फूल और घरों में सजाए जाने वाले शो के पौधे सहित अन्य प्रजाति के पौधों का विक्रय किया जाता था यह सब बंद हो गया। साथ ही खत्म हो गई उद्यान विभाग की नर्सरी रेवेन्यू देने वाली आए और मजदूरों को काम देने वाली योजना।

बमुश्किल पत्राचार के माध्यम से भोपाल स्तर से जिला प्रशासन से जमीन मांगी गई तो गोगलाई गाँव मे डूब क्षेत्र में जमीन दे दी गई। लेकिन अब भी उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को बजट का इंतजार है जिसके बाद ही काम शुरू किया जाए सकता है।

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