7, 8 को मास्को जाएंगे विदेश मंत्री जयशंकर, विदेश मंत्री लावरोव, डिप्टी पीएम मंटुरोव से करेंगे चर्चा

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विदेश मंत्री एस जयशंकर अगले सप्ताह 7 और 8 नवंबर को दो दिवसीय मास्को यात्रा पर जाने वाले हैं। इस दौरान भारत और रूस के बीच विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर प्रमुखता से बातचीत होगी। उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह रूस यात्रा ऐसे समय पर हो रही है, जब रूस और यूक्रेन संघर्ष निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि जयशंकर 7 और 8 नवंबर को रूस का दौरा करेंगे तथा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और उप प्रधानमंत्री एवं व्यापार और उद्योग मंत्री डेनिस मंटुरोव से बातचीत करेंगे। रूस ने पिछले हफ्ते जयशंकर की यात्रा की घोषणा की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे। चर्चा के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। बागची ने कहा कि जयशंकर-मंटुरोव की बातचीत में द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग से जुड़े मुद्दों को उठाया जाएगा।
अरिंदम बागची ने कहा विदेश मंत्री एस जयशंकर व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) के अपने समकक्ष रूस के उप प्रधानमंत्री और व्यापार एवं उद्योग मंत्री डेनिस मंटुरोव से भी मुलाकात करेंगे।
उन्होंने कहा विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। अरिंदम बागची ने कहा कि यह यात्रा दोनों पक्षों के बीच नियमित उच्च स्तरीय वार्ता के क्रम में होगी। यह पूछे जाने पर कि रूस काला सागर गलियारे के माध्यम से यूक्रेन से अनाज के निर्यात की अनुमति देने के लिए संयुक्त राष्ट्र समर्थित समझौते में फिर से शामिल होने के लिए सहमत है, बागची ने सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा चुनौती को दूर करने के लिए कोई भी प्रयास स्वागत योग्य कदम है। बागची ने कहा हम उर्वरकों, खाद्य और ऊर्जा की उच्च कीमतों के प्रभाव के बारे में दुनिया भर के देशों के, विशेष रूप से विकासशील दुनिया के प्रभावित होने के बारे में बात कर रहे हैं और ऐसा कोई भी कदम जो उपलब्धता बढ़ाने और भोजन की लागत को कम करने की प्रक्रिया में मदद करता है, एक स्वागत योग्य घटनाक्रम है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा अनाज समझौते पर मेरी कोई विशेष टिप्पणी नहीं है, क्योंकि हम इसमें सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं। लेकिन हमने रिपोर्ट देखी है कि यह फिर से शुरू हो गया है। जयशंकर ने आखिरी बार पिछले साल जुलाई में रूस का दौरा किया था, जिसके बाद अप्रैल में लावरोव ने भारत का दौरा किया था। पश्चिम के कई देशों द्वारा पिछले कुछ महीनों में दबाव बनाए जाने के बावजूद भारत ने रूस से रियायती कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है। फरवरी में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से जयशंकर और लावरोव चार बार मिल चुके हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले साल दिसंबर में भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए थे। दोनों देशों के पास एक तंत्र है जिसके तहत भारत के प्रधानमंत्री और रूसी राष्ट्रपति संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा के लिए सालाना एक शिखर बैठक आयोजित करते हैं।

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