80 करोड़ रुपये की ‘तीसरी आंख’ रखेगी थानों-चौकियों पर नजर

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मध्य प्रदेश के सभी थानों और पुलिस चौकियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे यानी तीसरी आंख लगवाई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत शुरू किए जा रहे इस कार्य पर 80 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इन कैमरों में डेढ़ साल का बैकअप रहेगा। इस व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि थाने में आने वालों के साथ पुलिस के बर्ताव को लेकर शिकायतें होती रहती हैं। रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे लोगों के साथ अभद्रता के मामले भी सामने आते हैं।

आम लोगों के मानवाधिकारों का हनन न हो, इसके लिए थाना परिसर और आम लोगों की आवाजाही के स्थान कैमरों की जद में रहेंगे। प्रदेश के 1107 पुलिस थानों और 653 पुलिस चौकियों में थाना प्रभारी, उप निरीक्षक के कमरे से लेकर थाने और चौकी के कमरों के भीतर और बाहर सीसीटीवी से नजर रखी जाएगी। यह काम अगले चार माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। मालूम हो, देश के सभी राज्यों में हवालातों, थानों और पुलिस चौकियों में आने वालों के साथ पुलिस प्रताड़ना की शिकायतों के कारण और कैदियों के मानवाधिकार हनन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के गृह सचिवों को थानों और चौकियों की सीसीटीवी से निगरानी की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।

थानों में 10 से 12 कैमरे लगेंगे, डेढ़ साल का रहेगा बैकअप

इस व्यवस्था का उद्देश्य हवालात में बंद कैदियों और शिकायत करने आए लोगों से पुलिस द्वारा की गई अभद्रता की शिकायतों में कमी लाना है। पुलिस थानों में 10 से 12 और पुलिस चौकी में चार से पांच सीसीटीवी कैमरे लगाए जाना प्रस्तावित है। इन कैमरों में नाइट विजन और साउंड रिकॉर्डिंग की व्यवस्था भी रहेगी। इन कैमरों की रिकॉर्डिंग का बैकअप डेढ़ साल का रहेगा। इससे पुलिस द्वारा की जाने वाली अभद्रता की शिकायत की जांच रिकॉर्डिंग के आधार पर की जा सकेगी। इन कैमरों से थानों और चौकियों की गतिविधियों पर राज्य और जिला स्तरीय ओवरसाइट कमेटी नजर रखेगी। राज्य की समिति के अध्यक्ष गृह सचिव होंगे और जिला स्तर की कमेटी के अध्यक्ष जिला मजिस्ट्रेट होंगे।

जल्द लगाने की कोशिश हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द सभी थानों और पुलिस चौकियों में कैमरे लग जाएं। इससे थाने में आने वाले सभी लोगों के मानव अधिकार की रक्षा होगी। डेढ़ साल का बैकअप होने से देरी से होने वाली शिकायतों की सत्यता भी परखी जा सकेगी।  संजय झा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, टेलीकॉम एंड रेडियो

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