पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया यह स्लोगन पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए बनाया गया था। ताकि बच्चे पढ़ाई कर आगे बढ़ सके। लेकिन बात अगर बालाघाट जिले के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों की करें तो उन्हें ना सिर्फ पढ़ाई करने बल्कि एग्जाम देकर उन्हें आगे बढ़ने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
आपको बताये की जिसका एक नजारा शासकीय उच्चतर माध्यमिक कन्या विद्यालय में बनाए गए परीक्षा केंद्र में देखने को मिला। जहां परीक्षा देने दूरस्थ क्षेत्रों से पहुंचे स्वाध्यायी विद्यार्थी ने परीक्षा देने में हो रही विभिन्न परेशानियों का जिक्र करते हुए उन्हें भी नियमित विद्यार्थियों की तरह निकटतम परीक्षा केंद्र दिए जाने की मांग की।
बताया गया कि बूढ़ी स्कूल में कक्षा दसवी और कक्षा बारहवीं के स्वाध्यायी विद्यार्थी के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया है जो केंद्र दूर दराज में रहने वाले स्वाध्यायी विद्यार्थी के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है ।जहां गढ़ी ,बैहर, बिरसा , परसवाड़ा, मलाजखंड सहित अन्य क्षेत्रों से विद्यार्थी परीक्षा देने के लिए पहुंच रहे हैं। जिन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कक्षा 10वीं 12वीं के स्वाध्यायी विद्यार्थी का परीक्षा केंद्र उनके निकटतम स्कूल में दिए जाने की मांग की है।जिन्होंने बताया कि उन्होंने पूर्व में निकतम परीक्षा केंद्र की मांग की थी लेकिन विद्यार्थियों की इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। जिसके चलते किसी विद्यार्थी को 70 तो किसी विद्यार्थी को 80 से 90 किलोमीटर दूर से परीक्षा देने के लिए बालाघाट आना पड़ रहा है जिसे विघार्थी समय और पैसे दोनों की बर्बादी बता रहे हैं।
परीक्षा केंद्र अध्यक्ष शिव शंकर ने बताया कि बूढ़ी स्कूल में कक्षा बारहवीं के 199 तो कक्षा दसवीं के 230 बच्चों का परीक्षा केंद्र बनाया गया है। पहले दिन बच्चों को सबसे ज्यादा तकलीफ हुई।बूढ़ी के नाम से स्कूल होने के चलते दूरदराज से आने वाले सभी बच्चे सीधे बूढ़ी पहुंच गए और वहां स्कूल को तलाश रहे थे काफी देर ढूंढने के बाद वे सेंटर पहुंचे थे। इसके अलावा काफी दूर सेंटर होने के चलते बच्चे समय पर नहीं आ पाते सभी बच्चों को बस समय पर नहीं मिल पाती तो कभी उनकी गाड़ी खराब हो जाती है।
प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी अश्विनी कुमार उपाध्याय ने बताया कि जिले में स्वाध्यायी बच्चों के लिए 3 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। जो परीक्षा केंद्र बने हैं वह सभी शासन की मंशा के अनुरूप बनाए गए हैं हम केवल बच्चों की जानकारी शासन को भेज देते हैं कितने बच्चों को कहां बैठाना है और उनकी कैसी व्यवस्था बनानी है यह कार्य शासन का होता है शासन स्तर से ही बच्चों को परीक्षा केंद्र दिए गए है।