सरेखा रेलवे क्रॉसिंग पर रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है।जिसके चलते इस मार्ग से गुजरने वाले रहागिरो को भारी परेशानियों का सामान करना पड़ रहा है।तय समय सीमा से काफी देरी से शुरू हुआ यह काम अभी और लंबे समय तक चलेगा।क्यो की इस मार्ग से आवागमन करने वाले रहागिरो को राहत पहुचाने के लिए बनाया जा रहा रेलवे अंडर ब्रिज का निर्माण कार्य फिर खटाई में पड़ गया। दरअसल बर्फ फेक्ट्री मार्ग से बनाया जा रहा अंडर ब्रिज का काम समय पर पूरा नही हो पा रहा है।जिसके चलते सरेखा रेलवे ओवर ब्रिज मार्ग का निर्माण कार्य अटक सा गया है।वही अब अंडर ब्रिज निर्माण कार्य के लिए बालाघाट लाई गई हेवी क्रेन मशीन मंगलवार को वापस ले जा ली गई। दरअसल, डीआरएम ने रेलवे अंडर ब्रिज निर्माण कार्य के लिए पूर्व में दी गई अनुमति को रद्द कर दिया है। जिसके चलते इस मार्ग से ट्रेनों का आवागमन नही रोका गया है।जहां ट्रेनों का आवागमन नही रूकने से अंडर ब्रिज निर्माण कार्य नही हो पा रहा है।उधर रेलवे द्वारा ट्रेनों के आवागमन को बंद करने लिए दी गई परमिशन ऐनवक्त पर रद्द कर दी गई।तो इधर परमिशन रद्द होते ही सम्बधित ठेकेदार द्वारा अंडर ब्रिज निर्माण के लिए मंगाई गई हैवी क्रेन मशीन आमगांव के सालेकसा भेज दी गई है।बताया जा रहा है की अंडर ब्रिज निर्माण के लिए अब ठेकेदार को मार्ग बंद करने की पुन: अनुमति लेना पड़ेगा। जहा रेलवे से अनुमति मिलने के बाद ही अब अंडर ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हो पाएगा और जब तक रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा कर इसका लोकार्पण नही हो जाता तब तक रहागिरो को इस मार्ग से आवागमन करने में यू ही परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
30 अप्रैल तक पूरा होना था अंडर ब्रिज का काम, अब भी अधूरा
सरेखा रेलवे क्रासिंग पर किया जा रहा ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य कछुवा गति से चल रहा है।जानकारी के अनुसार सरेखा रेलवे क्रॉसिंग के समीप रेलवे अंडर ब्रिज का निर्माण कार्य किया जाना है। पूर्व में यह निर्माण कार्य 30 अप्रैल तक पूर्ण किया जाना था। लेकिन समय सीमा में कार्य पूरा नहीं हो पाया। इसके बाद सम्बधितों द्वारा 5 मई से रेलवे अंडर ब्रिज का निर्माण कार्य करने का आश्वासन दिया गया था। वही पूरे अंडर ब्रिज का निर्माण कार्य 15 मई तक पूर्ण करने दावा किया जा रहा था। लेकिन 5 मई की स्थिति में भी यह निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया।
डीआरएम ने अनुमति की रद्द
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे अंडर ब्रिज निर्माण कार्य के लिए डीआरएम ने पूर्व में अनुमति दी थी। 5 से 7 मई तक ठेकेदार को अंडर ब्रिज के निर्माण कार्य को पूरा करना था। लेकिन ठेकेदार ने इस नियत समय में कार्य पूरा नहीं कर पाया। जिसके चलते डीआरएम ने अनुमति को निरस्त कर दिया है। अब ठेकेदार को पुन: नए सिरे से अनुमति लेनी पड़ेगी। इसके बाद ही निर्माण कार्य प्रारंभ हो पाएगा।
04 दिन पूर्व बिलासपुर से मंगवाई गई थी हेवी क्रेन
मशीन,
बताया जा रहा है कि अंडर ब्रिज निर्माण कार्य के लिए हेवी क्रेन मशीन चार दिन पूर्व बिलासपुर से निकली थी। यह क्रेन एक दिन जिले के अंतरराज्यीय जांच नाका रजेगांव में खड़ी रह गई। कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद यह क्रेन मशीन बालाघाट पहुंची। लेकिन इसी बीच डीआरएम ने अंडर ब्रिज के निर्माण कार्य के लिए दी गई अनुमति को रद्द कर दिया। जिसके चलते यह हेवी क्रेन मशीन मंगलवार को बालाघाट से आमगांव सालेकसा के लिए रवाना हो गई है।बताया जा रहा है कि अब जब तक रेलवे से अनुमति नहीं मिल जाती तब तक हैवी क्रेन मशीन बालाघाट नहीं आएगी। मतलब साफ है की रेलवे ओवरब्रिज निर्माण की तरह ही अंडर ब्रिज निर्माण के कार्य में लंबा समय लगेगा और जब तक अंडर ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा कर वहां से आवागमन शुरू नहीं हो जाता तब तक रेलवे ओवर ब्रिज का मुख्य काम भी शुरू नहीं हो पाएगा।
फिर होगी अंडर ब्रिज निर्माण कार्य में देरी
डीआरएम के अनुमति निरस्त किए जाने के बाद अब अंडर ब्रिज निर्माण कार्य में फिर देरी होगी। दरअसल, ठेकेदार ने इसे 15 मई तक पूरा करने का आश्वासन दिया था। 5 मई को अंडर ब्रिज के लिए पटरियों को निकालने, गर्डर बैठाने का कार्य किया जाना था। लेकिन यह कार्य 5 मई को भी पूरा नहीं हो पाया। अब हेवी क्रेन मशीन वापस चली गई है और जब तक रेलवे से परमिशन नहीं मिलेगी तब तक यहां मशीन अंडर ब्रिज के निर्माण के लिए वापस नहीं आएगी। मतलब साफ है परमिशन रद्द करने और हैवी क्रेन मशीन के वापस चले जाने से यह कार्य और विलंब से होगा। जिसका खामियाजा राहगीरों को उठाना पड़ेगा।
एक बार मशीन लाने में आता है 10 से 12 लाख का खर्च
प्राप्त जानकारी के अनुसार अंडर ब्रिज निर्माण के लिए हैवी क्रेन मशीन को बिलासपुर से लाया गया था। जिसे परमिशन रद्द होने के चलते आमगांव सालेकसा में चल रहे ब्रिज निर्माण कार्य में पहुंचा दिया गया है। बताया जा रहा है कि हैवी क्रेन मशीन क्रमांक एनएल 02- जी- 8055 आमगांव के लिए रवाना कर दी गई है ।अब जब तक परमिशन नहीं मिलेगी तब तक यह मशीन वापस नहीं लाई जाएगी जानकारी के अनुसार एक बार मशीन को लाने ले जाने में 10 से 12 लाख रुपए का खर्चा आता है जो ठेकेदार को वहन करना पड़ेगा।
ठेकेदार पर एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश
आपको बताए कि रेलवे ब्रिज निर्माण कार्य में हो रही देरी के मामले को कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा ने गंभीरता से लिया है। जिन्होंने एक दिन पूर्व सोमवार की हुई एक बैठक में नगर पुलिस अधीक्षक अंजुल मिश्रा से कहा कि रेलवे ब्रिज का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। नोटिस जारी कराएं व धारा-133 में पब्लिक न्यूसेंस में केस भी दर्ज करें। नागरिकों को आवागमन में कितनी परेशानियां हो रही है, इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं है।
ट्रेनों का संचालन रोकने नहीं आए कोई आदेश- चौधरी
वही इस पूरे मामले को लेकर की गई औपचारिक चर्चा के दौरान बालाघाट रेलवे स्टेशन प्रबंधक के एम चौधरी ने बताया कि पूर्व में रेलवे मंडल द्वारा अंडर ब्रिज निर्माण के लिए इस मार्ग से चलने वाली ट्रेनों का आवागमन रद्द किया था। वही ठेकेदार को अंडर ब्रिज निर्माण की परमिशन दी गई थी। ठेकेदार ने समय पर काम शुरू नहीं किया जिसके चलते परमिशन रद्द कर दी गई। हमें ट्रेनों के संचालक को रोकने के पृथक से कोई आदेश नहीं आए। ऊपर से ट्रेनों का संचालन बंद नहीं किया गया। जिसके चलते ट्रेनों का संचालन पूर्व की भांति किया जा रहा है। यदि आगामी समय मे उच्च अधिकारियों से इस संदर्भ में कोई दिशा निर्देश आते हैं तो उन दिशा निर्देशों का पालन किया जाएगा।