रान अपने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत के बाद गम में डूबा है। रविवार को रईसी को ले जा रहा हेलीकॉप्टर ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। सोमवार सुबह बचाव दल की टीमें मलबे के पास पहुंची थी तो हेलीकॉप्टर में सवार सभी लोग मारे जा चुके थे। इस बीच पूरी दुनिया की नजर ईरानी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मौत के बाद पड़ने वाले परिणामों पर बनी हुई है। ईरान और भारत के साथ गहरे संबंधों को देखते हुए नई दिल्ली भी घटनाक्रम को बारीकी से देख रहा है। इस हादसे का असर पश्चिम एशिया की राजनीति पर गहराई से पड़ेगा।
ये हादसा ऐसे समय में हुआ है जब पश्चिम एशिया गहरे संघर्ष में उलझा हुआ है। पिछले सात महीनों से इजरायल ने गाजा में युद्ध छेड़ रखा है। वहीं, लेबनान में मौजूद ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है और लगातार रॉकेट से हमले कर रहा है। पिछले महीने इजरायल और ईरान का तनाव सीधे जंग में बदल गई जब तेहरान ने इजरायल के ऊपर किलर ड्रोन और रॉकेट की बौछार कर दी। इनमें से ज्यादातर को इजरायल के एरियल डिफेंस सिस्टम ने रोक दिया। ईरान ने कहा कि उसने यह हमला सीरिया में उसके वाणिज्य दूतावास पर इजरायली विमानों की बमबारी का बदला लेने के लिए किया था। जवाब में इजरायल ने ईरान के इस्फहान प्रांत में मिसाइल रक्षा प्रणाली पर सीमित हमला किया। यहां पर ईरान का यूरेनियम संवर्धन संयंत्र भी है।
हादसे को लेकर अटकलों का दौर शुरू
इस बीच ईरानी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की जान लेने वाले हेलीकॉप्टर हादसे को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। हालांकि, सरकारी मीडिया में अब तक की रिपोर्टों में इसे दुर्घटना बताया गया है लेकिन ईरानी सरकार की ओर से आधिकारिक बयान आना अभी बाकी है। अगर कोई भी बात जो गड़बड़ी की ओर इशारा करती है, तो यह पहले से संवेदनशील क्षेत्र में तनाव बढ़ा सकता है। खासकर इस पृष्ठभूमि में, जिसमें जब ईरान पहले ही अपने टॉप अधिकारियों की हत्या के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराता रहा है।