उत्तराखंड (Uttarakhand)में चमोली (Chamoli) के रैणी गांव के पास 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी झील मिली है। ये जगह पेंग गांव से करीब तीन किलोमीटर ऊपर पहाड़ पर है। इस झील का खुलासा वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने किया है। हालांकि यह अभी कहा नहीं जा सकता है कि झील से निचले इलाकों के रहवासियों को खतरा है या नहीं। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर कलांचद साई ने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल ने आपदा एक दिन बाद ऋषि गंगा के ऊपरी क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया। जहां एक हिमनदीय झील सामने आई हैं। उन्होंने कहा, ‘झील का निर्माण शायद आपदा के समय मलबे के इकट्ठा होने से हुआ है।’
कलाचंद साई ने कहा कि टीम ने झील के कुछ फोटो भी लिए हैं। उन्होंने बताया, ‘वैज्ञानिकों की टीम झील के आकार, परिधि और उसमें मौजूद पानी की मात्रा का पता लगा रही है। जिससे पता लगाने में आसानी होगी कि इससे कितना बड़ा खतरा हो सकता है।’ साई ने कहा कि कुछ वैज्ञानिक वापस आ गए हैं, जबकि अन्य अभी कुछ दिन ओर वहीं रहेंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक झील में कम मात्रा में पानी रिस रहा है। ये रिसाव आगे जाकर बड़ी आपदा का करण बन सकता है।
इधर चमोली के जिला अधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया, झील के निरीक्षण के लिए भूगर्भ सर्वेक्षण की आठ सदस्यीट टीम गठित की गई है। उन्होने कहा कि यह टीम निरीक्षण कर जिला प्रशासन को जल्द रिपोर्ट सौपेगी। वहीं झील के जांच के लिए राज्य सरकार ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी भेज दी है। बता दें गुरुवार को जल स्तर बढ़ने के कारण राहत बचाव अभियान रोक दिया गया था। जबकि तपोवन सुरंग में फंसे 35 लोगों को निकालने का अभियान लगातार पांचवें दिन भी जारी रहा। अलग-अलग जगहों से अबतक शव बरामद हो रहे हैं और 200 से अधिक लोग लापता हैं।