मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने लापता सैनिकों के प्रति सेना के व्यवहार को ‘कुछ हद तक असभ्य’ पाया है। कोर्ट ने कहा है कि लापता सैनिकों के परिवारों को पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ जारी करने के संबंध में ‘पुराने’ कानूनों को खत्म करने की जरूरत है। सिग्नलमैन सुरेंद्र सिंह सोलंकी 25 जुलाई 2010 से लापता हैं। उनके माता-पिता द्वारा उनकी मृत्यु की तारीख में संशोधन के संबंध में दूसरी अपील दायर की गई थी। इसी मामले में जस्टिस अनिल वर्मा ने अंतिम निर्देश जारी करते हुए यह टिप्पणी की।
उच्च न्यायालय ने 27 मई के अपने आदेश में कहा, ‘हमारी भारतीय सेना का इतिहास साहस, बलिदान और शहादत की अनूठी कहानियों से भरा है। वीर जवान देश के लिए जीते हैं और देश के लिए ही मरते हैं। दुर्भाग्य से, जब कोई सैनिक अचानक लापता हो जाता है तो उसके प्रति भारतीय सेना का व्यवहार कुछ हद तक असभ्य हो जाता है।’