एक प्राइवेट कंपनी, जो सीबीआई की निगरानी में है, उसे 4 लेन वाले वेस्टर्न भोपाल बाईपास के निर्माण के लिए 1,174 करोड़ रुपये का ठेका मिला है। कंपनी के कुछ कर्मचारियों को झांसी-खजुराहो हाईवे प्रोजेक्ट से जुड़े रिश्वत मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है।
सूत्रों का कहना है कि जांचकर्ताओं ने इस प्रोजेक्ट की डिटेल भी मांगी है। निजी कंपनी के कुछ कर्मचारी और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारी उन सात संदिग्धों में शामिल थे, जिन्हें हाल ही में झांसी-खजुराहो राजमार्ग रिश्वत मामले की जांच के तहत सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
सातों आरोपियों को चार दिन की रिमांड पूरी होने पर 10 जून को कोर्ट में पेश किया गया। जांच को आगे बढ़ाने के लिए सीबीआई ने हिरासत बढ़ाने की मांग की। अदालत ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और आरोपियों को 18 जून तक सीबीआई की हिरासत में लौटाने का आदेश दिया।
सीबीआई का आरोप है कि गिरफ्तार किए गए संदिग्धों ने झांसी-खजुराहो प्रोजेक्ट के ऑनरशिप में बदलाव करने और एनओसी जारी करने के लिए 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने की साजिश रची। सूत्रों ने कहा कि छतरपुर में एनएचएआई कार्यालय और कई शहरों में अन्य स्थानों पर पहले की गई छापेमारी में फाइलें, डिजिटल उपकरण और दस्तावेज मिले हैं। सीबीआई एफआईआर में नामित तीन अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है, जिनमें पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड के निदेशक योगेश जैन और टीआर राव शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई जांच के दायरे में आई कंपनी को हाल ही में पश्चिमी भोपाल बाईपास के लिए मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) से पुरस्कार पत्र (एलओए) मिला है। 1,174 करोड़ रुपये बोली को निर्माण के बाद 15 साल के ऑपरेशन पीरिएड के साथ 24 महीनों में एग्जीक्यूट किया जाना है।