मानसून की आमद होते ही किसान अब खेती कार्यों में जुड़ गए हैं। ऐसे में देखने में आ रहा है कि वारासिवनी खैरलांजी क्षेत्र में किसानों के बीच डीएपी खाद की मांग बढ़ती जा रही है परंतु वह सोसाइटी में उपलब्ध नहीं है। जो जिला प्रशासन के द्वारा उपलब्ध नहीं कराए जाने की बात कहीं जा रही है ऐसे में किसान लगातार संबंधित सोसाइटी के चक्कर लगा रहे हैं। जहां पर किसानों को डीएपी खाद की जगह उसके सबस्यूड के रूप में 2020013 नाम के खाद प्रदान किया जा रहा है। ऐसे में मजबूरन किसान उसे लेकर जा रहे हैं परंतु वह डीएपी की ही मांग कर रहे हैं क्योंकि उन्हें दिए जा रहे खाद पर उन्हें विश्वास नहीं है और यह उन्हें रिस्क की तरह लग रहा है। इसमें बताया जा रहा है कि डीएपी खाद सभी सोसाइटियों से गायब है जो बाजार में भी आसानी से किसानों को नहीं मिल पा रहा है जिसको लेकर किसानों में आक्रोश व्याप्त है।
यह है मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते दो दिन से होने वाली बारिश से मानसून की उपस्थित किसानों के सामने स्पष्ट हो गई है जिसको लेकर हर कोई अपने खरीफ की फसल लगाने के लिए कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। ऐसे में खेतों में खार का रोपा लगाने के बाद उसकी ग्रोथ के लिए डीएपी खाद का छिड़काव किसानों के द्वारा किया जाता है। यह डीएपी खाद क्षेत्र के किसानों में काफी लोकप्रिय है क्योंकि उसका असर उन्होंने देखा है जिसको लेकर लगातार क्षेत्र से किसान डीएपी की खरीदी करने के लिए अपने ग्राम की संबंधित सोसाइटी में आ रहे हैं जहां पर वह डीएपी खाद मांग रहे हैं। परंतु अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा उक्त खाद नहीं होने की जानकारी देते हुए उन्हें 2020013 नाम की खाद ले जाने के लिए कहा जा रहा है ऐसे में किसान इस पूरे मामले को एक रिस्क के रूप में देख रहे हैं। जिसका उन्होंने लगातार पता कर रहे हैं तो शासन के द्वारा ही डीएपी खाद उपलब्ध नहीं करने की बात आ रही है या जिला स्तर के अधिकारियों के द्वारा नहीं देने की भी बात कही जा रही है। ऐसे में किसान दूसरी खाद लेकर जा रहे हैं तो वहीं कुछ लोग बाजार में भी पता कर रहे हैं इस परिस्थिति में डीएपी खाद न मिलने से किसान आक्रोशित हो रहे हैं। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश किसान सोसाइटी से ऋण लेकर खेती करते हैं जिसमें फर्टिलाइजर उन्हें वहीं से उपलब्ध होता है जिसमें कई किसान बाजार से भी खरीदने में असमर्थ होते हैं।
फसल पर पड़ता है असर
खेतों में खार के रोपे में डीएपी का छिड़काव करने से हरियाली के साथ पौधों की संख्या भी बढ़ती है तो वही पौधा बेहतर तरीके से ग्रोथ कर पता है। परंतु दूसरी खाद अधिक लगती है और निश्चित नहीं है की पौध उतना ग्रोथ कर पाएगा। ऐसे में किसान की फसल पर डीएपी ना होने से असर पढ़ने की बात सामने आ रही है। इसमें किसानों का कहना है कि डीएपी खाद को लेकर हर वर्ष परेशानी काटना पड़ता है और इसका असर हमने देखा है नहीं डालने पर पौधे में और पैदावार में काफी असर पड़ता है परंतु अभी कुछ नया बता रहे हैं इसके बारे में भी सुना है कि यह दुगना डालना होगा।
किसान जयराम गौतम ने पद्मेश से चर्चा में बताया कि खाद की समस्या तो है सोसाइटी में सभी खाद उपलब्ध है किंतु डीएपी खाद नहीं है। बताया जा रहा है कि ऊपर से ही नहीं आ रहा है उसकी जगह कोई दूसरा खाद दे रहे हैं अधिकारी कर्मचारियों ने डीएपी खाद केंद्रों में नहीं भेजा है जिसके कारण डीएपी नहीं है। हम डीएपी बाजार से लेते नहीं क्योंकि सोसायटी के माध्यम से हम खेती करते हैं हमें यहां पर डीएपी खाद की जगह 2020013 नाम की खाद दी जा रही है। वह डीएपी के बराबर काम नहीं करती है बहुत फर्क रहता है हम भी चाहते हैं कि डीएपी हमें मिलना चाहिए।
किसान रामसिंह धाकड़ ने बताया कि सोसाइटी में समस्या फर्टिलाइजर की है किसान डीएपी खाद का ज्यादा उपयोग करते हैं उसके लिए विभाग जवाबदारी है क्योंकि उन्होंने मंगवाया या खरीद नहीं है। जबकि समस्त केंद्र में डीएपी खाद दिया जाना था यहां पर दूसरा खाद दे रहे हैं वर्तमान में डीएपी की जरूरत थी और इसकी प्रतिवर्ष मांग बनी रहती है अभाव शासन कर देता है। केंद्रों में नहीं है अभी हमने खेत में बीज डाले हैं उस खार की ग्रोथ करने के लिए डीएपी जरूरी होता है। क्योंकि इससे पौधा मोटा होता है बेहतर तैयार होता है बाहर से हमें यह महंगा पड़ेगा और केंद्र के भरोसे हम रहते हैं। जिसकी एजेंसी है वहां भी दिक्कत है की लाइन लगाकर खड़े रहना पड़ रहा है दस्तावेज देना पड़ता है जबकि अभी किसान अति व्यस्त है।
किसान सूरज मात्रे ने बताया कि डीएपी खाद खरीदने के लिए हम सोसाइटी में आए हुए थे परंतु यहां पर कहते हैं कि डीएपी नहीं है और ना ही आने की संभावना है ऐसा बता रहे हैं। जिसके लिए वह सुपर ले जा लो कहते हैं जबकि इसमें बहुत ज्यादा अंतर होता है डीएपी की एक बोरी में हमारा पूरा काम हो जाता है इसकी तीन बोरी हमें लगेगी कुल मिलाकर लागत तो वही पड़ती है। इसमें उपज पर असर पड़ता है डीएपी में हरियाली के साथ पैदावार और पौधा अच्छा बनता है परंतु इसके छिड़काव से गारंटी नहीं है की पैदावार और पौधा कैसा होगा पर हरियाली इससे भी बनेगी।