कनाडा में इमिग्रेशन नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे भारतीय छात्रों की बंधी उम्मीद, बड़े ग्रुप का मिला साथ

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कनाडा के प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (पीईआई) प्रान्त में भारतीय छात्र और कामगार बीते दो महीनों से इमिग्रेशन नियमों में किए गए बदलावों का विरोध कर रहे हैं। नए नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे भारतीय छात्रों को कई बड़े ग्रुप का समर्थन मिला है। पीईआई नए नियमों के जरिए स्थायी निवास प्राप्त करने की आसान जगह के तौर पर अपनी प्रतिष्ठा को खत्म करने की कोशिश कर रहा है। इस प्रान्त में आसानी से छात्रों को रहने की जगह मिलती रही है लेकिन अब पीईआई ने इमिग्रेशन परमिट में कटौती समेत नियमों को बदलते हुए अप्रवासियों की संख्या को कम करने की कोशिश की है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कूपर इंस्टीट्यूट और बीआईपीओसी यूएसएचआर जैसे आप्रवासियों और अश्वेत लोगों का समर्थन करने वाले समूहों ने ‘फेयर पीएनपी रूल्स’ शीर्षक से प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। उन्होंने सरकार से प्रांत में पहले से रह रहे विदेशियों को इन नए नियमों से छूट देने का आग्रह किया है। प्रान्त के नए नियमों का उद्देश्य पीईआई की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और आवास बाजार पर दबाव के कारण 2024 में आप्रवासियों की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी लाना है। प्रदर्शनों के बावजूद मंत्री जेन रेडमंड ने साफ कर दिया है कि नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

संगठन ने की सरकार के फैसले की आलोचना

बीआईपीओसी-यूएसएचआर के कम्युनिटी रिलेशन कॉर्डिनेटर नौहाद मुराद ने कहा, पीईआई में नियमों में बदलाव अप्रवासियों के लिए यह बहुत ही भयावह है। पीईआई के आवास संकट और स्वास्थ्य देखभाल की कमी के लिए विदेशी श्रमिकों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। मुझे लगता है कि हर किसी को उनके साथ खड़ा होना चाहिए।’ मुराद ने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा ना केवल भारतीय समुदाय को बल्कि व्यापक आव्रजन समुदाय को भी प्रभावित करता है, जिससे नीतिगत परिवर्तनों के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम होती है। पीईआई में नियमों में बदलाव के खिलाफ रूपिंदर पाल सिंह के नेतृत्व में फरवरी से प्रदर्शन चल रहा है।

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