सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और राज्य सरकार से दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में बीआरएस नेता के. कविता को जमानत देने के बाद शीर्ष अदालत के खिलाफ सीएम के कथित अपमानजनक ट्वीट्स पर जवाब मांगा। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी की एक तस्वीर के साथ कविता की एक तस्वीर पर आपत्ति जताई। शीर्ष अदालत ने कहा कि अपनी राजनीति में सुप्रीम कोर्ट और वकीलों को क्यों घसीटते हैं।
उच्च पद पर बैठे लोगों को संयम बरतना चाहिए
हालांकि सीएम ने अपने ट्वीट वायरल होने के एक दिन बाद सोशल मीडिया पर माफी मांगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कविता को जमानत दिए जाने के बाद सोशल मीडिया पर प्रसारित तस्वीरों पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने उनसे जवाब मांगा। पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालतों और वकीलों को राजनीतिक उलझन में घसीटा जा रहा है। जब कोई व्यक्ति (सीएम जैसे) उच्च पद पर हो, तो उसे संयम बरतना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि सीएम ने न्यायपालिका, विपक्षी नेताओं और पुलिस अधिकारियों पर कई असम्मानजनक टिप्पणियां की हैं। उनमें से एक बीआरएस राजनीतिक दल से संबंधित एक नेता की जमानत के संबंध में सुप्रीम कोर्ट पर की गई टिप्पणी है।
ट्वीट को जजों का अपमान बताया
विडंबना यह है कि सीनियर एडवोकेट रोहतगी ने कविता की जमानत के लिए बहस की थी। वहीं, सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा बेंच के समक्ष सीएम और तेलंगाना सरकार की तरफ से पेश हुए। याचिकाकर्ता जी जगदीश रेड्डी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सी ए सुंदरम ने याचिका में तस्वीर जोड़ने के लिए माफी मांगी, लेकिन कहा कि सीएम के ट्वीट न केवल आपत्तिजनक थे बल्कि सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों के लिए अपमानजनक थे।
सीएम के ट्वीट को अदालत के संज्ञान में लाने वाला आवेदन एक याचिका में दायर किया गया था। इसमें निष्पक्ष अभियोजन और सुनवाई के लिए सीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की गई थी।