बालाघाट(पदमेश न्यूज़)
जिले के आदिवासी बाहुल्य बैहर के ग्राम पंचायत कोहका में 30 वर्ष से अधिक समय से घास मद की भूमि पर काबिज ग्रामीणो को, तहसीलदार ने भूमि खाली करने का आदेश दिया है।जिससे नाराज ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों के साथ मंगलवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में एक ज्ञापन सौपकर बेदखली का आदेश वापस लिए जाने की मांग की है।जहां उन्होंने पहले समस्त 11परिवारों के रहने के लिए उचित स्थान देने के बाद ही कोई कार्यवाही किए जाने की बात कही। वही कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी व्यथा से अवगत कराया। जिसमें उन्होंने अनुमति के तहत ही घास मद की भूमि में अपनी झोपड़ी बनाकर निवास करने की बात कहते हुए उन्हें बेदखल न किए जाने की गुहार लगाई।
सरपँच निधि ने भी ग्रामीणों का किया समर्थन
उक्त मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों का स्थानीय सरपँच निधि ने भी समर्थन किया है जहां पंचायत सरपंच प्रतिनिधि और और ग्रामीणों ने प्रशासन से भूमि खाली करने के आदेश को वापस लेते हुए ग्रामीणों को पट्टा दिए जाने की बात कही है। बताया जा रहा है कि बैहर क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कोहका में विगत 30 से 40 वर्षो से भूमिहीन परिवार, पट्टे की आस में घासमद की भूमि पर काबिज है।
23 अक्टूबर अंतिम तारीख बताकर नोटिस आया है- गुलाबचंद
ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान बाहर ग्राम कोहका निवासी गुलाबचंद रहांगडाले ने बताया उनके गांव में कोटवारी की भूमि थी उस पर पिछले कई वर्षो से झोपड़ा बनाकर 11 परिवार अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।लेकिन अब हमे बार-बार भूमि से बेदखल करने का आदेश जारी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 में ग्राम संसद का आयोजन हुआ था वहां समस्त कोटवारों ने हमें युक्त भूमि पर मकान बनाने की अनुमति दी थी 14 एकड़ में से 7 एकड़ जमीन हम लोगों को देने के लिए कहा गया था। लेकिन अभी तहसीलदार का लेटर आया हुआ है जिसमे 23 तारीख आखिरी अंतिम तारीख लिखी गई है इसमें सभी 11 मकानो में रहने वाले परिवारों को बेदखल करने का आदेश दिया गया है। हमारी मांग है कि हमें उक्त भूमि से बेदखल ना किया जाए।
ग्रामीणों को उत्तर भूमि से बेदखल ना किया जाए- मेंरावी
वही ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्राम पंचायत कोहका सरपंच प्रतिनिधि रमेश मेंरावी ने बताया कि कोटवारी हक की भूमि में 11 परिवार 25 -30 वर्षों से बसे हुए हैं पूर्व में जो कोटवार थे उन्होंने उक्त जमीन ग्रामीणों को मकान बनाने के लिए दी थी। उनके गुजर जाने के बाद अब जो नई कोटवारी आई है ।वे लोग तहसीलदार से बार-बार नोटिस भेज कर भूमि खाली करने का दबाव बना रहे हैं। 23 तारीख की अंतिम तारीख दी गई है ग्रामीणों के पास अन्य कोई जगह नहीं है जहां वे निवास कर सके। दो तीन परिवार तो ऐसे हैं जिसमें अपंग विकलांग लोग हैं। ऐसे में एन समय पर यह लोग कहां जाएंगे। उन्होंने आगे बताया कि बारिश के पूर्व भी इन्हें बेदखली का नोटिस जारी किया गया था लेकिन बरसात के चलते कार्यवाही नहीं हो पाई थी अभी दीपावली के एनवक्त पूर्व नोटिस भेज कर जगह खाली करने कहा जा रहा है हमारी मांग है कि इन परिवारों को यथावत उसी स्थान पर रहने दिया जाए।