पति-पत्नी के रिश्ते में जब प्यार की जगह हिंसा ले ले, तो चोट पूरे परिवार और खासकर बच्चों को लगती है। घरेलू हिंसा का यह जख्म कभी-कभी इतना गहरा होता है कि पूरा घर बिखर जाता है। विडंबना देखिए, हिंसा के इतने खतरनाक रूप को ‘घरेलू’ कहा जाता है, जिस कारण घर से बाहर के ज्यादातर लोग पति-पत्नी के इस आपसी मामले में दखल तक नहीं देते। घरेलू हिंसा की इसी कड़वी सच्चाई को दो बहनों की राइवलरी के मसालेदार पैकेजिंग में लपेटकर पेश करती है, एक्ट्रेस कृति सेनन और राइटर कनिका ढिल्लों के बैनर की डेब्यू फिल्म ‘दो पत्ती’।
‘दो पत्ती’ की कहानी
फिल्म की शुरुआत एक छोटे से पहाड़ी इलाके देवीपुर की इंस्पेक्टर विद्या ज्योति (काजोल) से होती है। विद्या को पति के पत्नी के साथ मारपीट की रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए आए एक फोन कॉल आता है। विद्या ज्योति नियमों को दिल-ओ-जान से मानने वाली पुलिसवाली है। उसका सहकर्मी मना भी करता है कि ऐसे घरेलू हिंसा के मामले में कोई पत्नी अपने पति के खिलाफ नहीं बोलती, वहां जाने का फायदा नहीं है, लेकिन उसूलों की पक्की विद्या ज्योति निकल पड़ती है अपने कर्तव्य पथ पर। यहां से शुरू होती है एक सनसनीखेज कहानी।
यह कहानी है, दो जुड़वा बहनों सौम्या और शैली (कृति सेनन) की, जो बहनें कम, दुश्मन ज्यादा हैं। दोनों एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। सौम्या जहां अपने नाम की तरह शांत, सौम्य और सहमी हुई रहती है, वहीं शैली बिंदास है। बचपन में अपनी मां को खोने का दर्द नहीं सह पाने वाली सौम्या एंग्जाइटी अटैक से भी जूझती है। बीमारी की वजह से सौम्या को मिलने वाली तवज्जो शैली बर्दाश्त नहीं कर पाती और उसे नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती। यहां तक कि जब सौम्या की जिंदगी में प्यार के रूप में ध्रुव (शहीर शेख) दस्तक देता है, तो उसे भी छीन लेती है।
हालात कुछ ऐसे बदलते हैं कि ध्रुव, पत्नी के रूप में मॉडर्न शैली की बजाय घरेलू सौम्या को चुनता है। अब यह बात शैली सह नहीं पाती। इधर, शादी के बाद ध्रुव का एक अलग ही रंग सामने आता है। वह बात-बात पर सौम्या को पीटता है और सौम्या की बीमारी का रोना रोकर वापस शैली के करीब जाने लगता है। अब क्या शैली, ध्रुव को छीनकर सौम्या से हिसाब बराबर करेगी? या विद्या ज्योति सौम्या को इंसाफ दिला पाएगी? ये सारे ट्विस्ट और टर्न फिल्म देखकर पता चलेंगे।