शहर की गायिका मीनाक्षी शर्मा तारिका के सुमधुर कंठ से ‘मेकलसुता का जयकारा सामने आ चुका है। इसके माध्यम से नर्मदा के प्रति गीतांजली का अर्पण किया गया है। इस प्रस्तुति की विशेषता है कि इसके जरिये एक गीत के भीतर नर्मदा के संपूर्ण व्यक्तित्व को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है। मीनाक्षी ने इसमें गायन के अलावा अभिनय भी किया है। नाव में बैठकर नौकाविहार के साथ-साथ नर्मदा तटीय सौंदर्य को निहारने के दृश्य अनुपम हैं। शिवांगी ने कैसे परिणय का त्याग किया, यह आख्यान सुनते समय भक्त भाव-विभोर हो जाते हैं। प्रवासी परिंदो को कैमरे में बड़ी खूबसूरती से कैद किया गया है। त्वदीय पाद पंकजम नामामि देवी नर्मदे, की टेक के साथ समूचा गीत सम्मोहक बन पड़ा है। शंख की ध्वनि से शुभारंभ होता है और गीत धीरे-धीरे गतिमान होता है।
शांकरी नर्मदा को लेकर प्रत्येक पंक्ति अनूठी है। नर्मदे मां नर्मदे के साथ ग्वारीघाट के नर्मदा मंदिर का दर्शन मन को मंगलभाव से भर देता है। पावन बहनी इक धारा, समाया जिसमें भव सारा। निर्मल शीतल कंचन जल में गूंजे ओंकारा, यह पंक्ति गजब का भाव अभिव्यक्त करती है। शिवाय नम: शिवाय की गूंज के साथ संगीत को खूबसूरती से पिरोया गया है। हर हर नर्मदे सुनकर सुनने वाले आनंद के महासागर में डूब जाते हैं। राजा के तप से प्रसन्न् शिव का आख्यान और सोनभद्र से आहत होने के प्रतिकार की कहानी इसमें गूंथी गई है। अविनाशी अमृता ने कैसे सुर-नर मुनि को तारा, यह तथ्य भी सामने आया। नर्मदा महाआरती का चित्रांकन देखते ही बनता है। कंकर-कंकर है शिवशंकर, सब पापों-क्लेशों का नाश कैसे होता है, यह बात गीत की विशेषता है।