ढाका: बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने देश के संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द को हटाने की मांग की है। उन्होंने अदालत में इसके पीछे तर्क दिया कि बांग्लादेश की 90 फीसदी आबादी मुस्लिम है। ऐसे में बांग्लादेश के संविधान में बदलाव करते हुए सेक्युलर शब्द हटाना चाहिए। बांग्लादेश में 17 करोड़ से ज्यादा की आबादी में सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी हिन्दुओं की है, जो जनसंख्या का तकरीबन आठ प्रतिशत हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट में जस्टिस फराह महबूब और देबाशीष रॉय चौधरी की बेंच के सामने 15वें संशोधन की वैधता पर सुनवाई के दौरान असदुज्जमां ने कहा कि पहले अल्लाह पर भरोसा और आस्था थी। मैं इसे पहले की तरह ही चाहता हूं। आर्टिकल 2ए में कहा गया है कि स्टेट सभी धर्मों को समान अधिकार देगा। वहीं अनुच्छेद 9 ‘बंगाली राष्ट्रवाद’ के बारे में बात करता है तो यह विरोधाभासी है।’
‘राष्ट्रपिता’ के लेबल में भी संशोधन
अटॉर्नी जनरल ने ये भी कहा कि शेख मुजीबुर रहमान को ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में नामित करने जैस संवैधानिक संशोधन राष्ट्रीय विभाजन पैदा करते हैं। शेख मुजीब का सम्मान किया जाए लेकिन कानून बनाकर इसे लागू करने से विभाजन पैदा होता है। उन्होंने कहा कि संशोधनों को लोकतंत्र का समर्थन करना चाहिए ना कि अधिनायकवाद का पक्ष लेना चाहिए।
असदुज्जमां ने कार्यवाहक सरकार के सिस्टम को खत्म करने के शेख हसीना सरकार के फैसले की भी निंदा की है। ये सरकार बांग्लादेश मे चुनावों की देखरेख के लिए जिम्मेदार थी। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली को समाप्त करने से नागरिकों के मौलिक अधिकारों से समझौता हुआ, जनता का विश्वास कमजोर हुआ और बांग्लादेश की लोकतांत्रिक नींव को नुकसान पहुंचा।