रियाद: सऊदी अरब के मक्का और मदीना शहर पैंगबर मोहम्मद से जुड़े होने की वजह से दुनियाभर के मुसलमानों में श्रद्धाभाव से देखे जाते हैं। मक्का की ग्रैंड मस्जिद को इस्लाम के सबसे पवित्र स्थानों में गिना जाता है। ठीक 45 साल पहले इस मस्जिद में कुछ ऐसा हुआ था, जिसने ना सिर्फ मुसलमानों बल्कि पूरी दुनिया को हिला दिया था। साल 1979 में 20 नवंबर को जुहैमान अल-उतैबी के नेतृत्व में करीब हथियारबंद लोगों ने ग्रैंड मस्जिद पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद करीब दो हफ्ते तक मस्जिद में भयावह खूनखराबा चला था। इस घटना पर मुस्लिम दुनिया उबल पड़ी थी। इस वाकये ने सऊदी और पश्चिम एशिया की राजनीति की दिशा को भी बदल कर रख दिया था।
सऊदी के बद्दू मूल से आने वाला जुहैमान अल-उतैबी पूर्व में सैनिक रह चुका था और बाद में एक धार्मिक उपदेशक के तौर पर उसने पहचान बनाई थी। उसके अनुयायी उसे ‘रक्षक’ के रूप में देखते थे। 20 नवंबर, 1979 को सऊदी के शासक वर्ग का आलोचक जुहैमान अल-उतैबी ने अपने हथियारबंद लोगों के साथ ग्रैंड मस्जिद को घेरा और श्रद्धालुओं को बंधक बना लिया। इसके बाद मस्जिद को उसकी गिरफ्त से निकालने का जो ऑपरेशन हुआ, उसमें जमकर खून बहा।
नमाज पढ़ने आए लोग कुछ समझते, बंदूकें तन चुकी थीं
साल 1979 में 20 नवंबर की सुबह फज्र की नमाज पढ़ने करीब 50,000 लोग काबा के विशाल परिसर में जमा हुए थे। इस दौरान लोग बहुत सहजता से नमाज के लिए खड़े थे और किसी को भी ये अंदाजा नहीं था कि आने वाले कुछ मिनट में क्या होना वाला है। नमाजियों के बीच दरअसल करीब 200 लोग 40 वर्षीय विवादित धर्मगुरु जुहैमान अल-उतैबी के नेतृत्व में शामिल हो चुके थे। इमाम के नमाज खत्म करते ही जुहैमान ने सामने आकर उनको कोने में धकेल दिया और माइक से सबको खामोश रहने के लिए कहा।