नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 12-14 फरवरी को वॉशिंगटन दौरे पर जा सकते हैं। पिछले सितंबर में अमेरिका यात्रा के दौरान डोभाल की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही थी। इस बार उनकी मौजूदगी अहम है क्योंकि ये दोनों देशों के रिश्तों में आई गर्माहट को दिखाएगी। वैसे एनएसए का किसी विदेश दौरे में पीएम के साथ जाना सामान्य है लेकिन इस मामले में ये अहमियत डोभाल के सितंबर में अमेरिका नहीं जा पाने के पीछे की वजह में छिपा है। तब उनके खिलाफ सिखों से जुड़े एक मामले में समन जारी किया गया था, हालांकि उसे औपचारिक रूप से नहीं भेजा गया था।
प्रधानमंत्री मोदी 12 से 14 फरवरी तक अमेरिका की यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान उनके साथ NSA अजीत डोभाल के भी जाने की संभावना है। पिछले सितंबर में पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर डोभाल के नहीं होने के पीछे एक सिख मामले में उनके खिलाफ समन जारी होने को माना गया था। उस समन को औपचारिक तौर पर कभी सर्व तो नहीं किया गया लेकिन इसे दोनों देशों की साझेदारी की भावना के विपरीत माना जा रहा था। अब डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद यह मामला हल्का पड़ता दिख रहा है।
हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ट्रंप प्रशासन भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने और कुछ समूहों को प्रोत्साहित करने का इच्छुक नहीं है। इससे डोभाल की अमेरिका यात्रा का रास्ता साफ हो गया है।
डोभाल ने अमेरिका के अपने पूर्व समकक्ष जेक सुलिवन के साथ मिलकर रक्षा उद्योग और नागरिक उच्च तकनीक और दूरसंचार क्षेत्रों में सहयोग के लिए iCET ढांचा तैयार किया है। यह ढांचा दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हाल ही में डोभाल ने अपने वर्तमान अमेरिकी समकक्ष से भी बातचीत की है। पिछले साल डोभाल रणनीतिक बातचीत के लिए फ्रांस और बाद में BRICS शिखर सम्मेलन के लिए रूस गए थे।
पिछले साल सितंबर में, मोदी के अमेरिका रवाना होने से ठीक पहले, न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने खालिस्तान समर्थक नेता और गृह मंत्रालय की तरफ से प्रतिबंधित गुरपतवंत सिंह पन्नू से जुड़े एक मामले में NSA सहित अन्य लोगों को समन जारी किया था। उस समय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया से कहा था, ‘जैसा कि हमने पहले कहा है, ये पूरी तरह से अनुचित और निराधार आरोप हैं। अब जबकि यह विशेष मामला दर्ज किया गया है, इससे अंतर्निहित स्थिति के बारे में हमारे विचार नहीं बदलते हैं…।’