अपराध की राह में जो हथियार था, वह अब रोजगार का जरिया बना

0

साधु और शैतान दोनों मनुष्य में ही होते हैं, इसलिए मन बदलने की कई कहानियां भी सुनी-सुनाई जाती हैं। ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में पारदी समुदाय के लोगों के साथ हो रहा है। जिस तीतर सीटी (तीतर पक्षी जैसी आवाज निकालने वाला यंत्र) की आवाज उसके संकेत पर शिकार, लूटपाट व डकैती जैसे अपराधों को अंजाम दिया जाता है, वही अब पारदी समुदाय के लोगों के रोजगार का जरिया बन गई है। दशकों तक आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहे इस समाज के कई लोगों ने जब जुर्म की दुनिया से बाहर निकलने की ठानी तो पेट भरना सबसे बड़ी चुनौती थी। ऐसे में लास्ट विल्डर्नेस फाउंडेशन मुंबई ने मदद की और समाज के आपराधिक वारदात में संकेत देने वाली तीतर सीटी बाजार में उतार दी। यह संस्था इलाके में आठ साल से सक्रिय है।

इसी समाज की खास पहचान पारदी सीटी को यहां आने वाले पर्यटकों में काफी पसंद किया जा रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व के आसपास के बड़े होटलों में भी इसे प्रदर्शन के लिए रखा गया है। पर्यटक इसे खरीद भी रहे हैं। आनलाइन शापिंग साइट पर भी यह 300 रुपये में उपलब्ध है। प्रत्येक महीने 400 से 500 पारदी सीटी बेची जा रही हैं। यह पारदी समुदाय के लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास के तहत हुआ है।

दस परिवार बना रहे सीटी : तेंदु और खैर की लकड़ी से बनने वाली पारदी सीटी करीब दस परिवार बना रहे हैं। एक परिवार दिनभर में 20 से ज्यादा सीटी तैयार कर लेता है। हालांकि उत्पादन के मुकाबले बिक्री कम है। बिक्री बढ़ाने के लिए दो माह पहले सीटी को एक आनलाइन शापिंग साइट पर अपलोड किया गया है। अब दो अन्य वेबसाइट से अनुबंध करने की कोशिश चल रही हैं ताकि उनके व्यापार को बढ़ाया जा सके।

रोजगार मिला तो दूसरी पहचान भी सामने आई

पारदी सीट बनाने से सम्मानजनक रोजगार मिला तो समाज ने अपनी कला का दूसरा नमूना भी पेश कर दिया। समाज के लोग सीट (बीज) पर सांप, मोर, बकरी और बाघ के पद चिन्ह की कलाकृति उकेरते हैं। इन कलाकृतियों को भी बाजार में उतार दिया गया है। आनलाइन शापिंग साइट पर इसे 350 रुपये में बेचा जा रहा है। हालांकि इसे अभी ज्यादा ग्राहक नहीं मिल रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here