कोविड-19 लॉकडाउन के एक वर्ष बाद, असंख्य लोग नई वित्तीय सच्चाईयों का सामना कर रहे हैं। अनेक लोगों के लिए पिछला वर्ष काफी मुश्किल भरा रहा होगा लेकिन इस वजह से हम में से हर किसी को मजबूर होकर अपनी वित्तीय प्राथमिकताओं (प्रिऑरिटीज) पर फिर से विचार करना पड़ रहा है। बीते साल ने यह बात भी याद दिलाई है की किसी भी चीज को हलके में नहीं लेना चाहिए। टीकाकरण को बढ़ाए जाने के साथ-साथ, भारत के कई हिस्सों में कोविड मामलों के फिर से बढ़ने के चलते यह समझना बहुत जरूरी हो गया है कि संकट अभी टला नहीं है। महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करना है कि हम अपनी सुरक्षा को कम किए बिना नई फाइनेंशियल वास्तविकताओं के अनुसार खुद को ढ़ाल लेते हैं। इस संबंध में कुछ उपयोगी बातों का उल्लेख नीचे किया गया है।
हम इमरजेंसी फंड के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं
दुर्भाग्यवश, बड़े पैमाने पर नौकरियां गंवाना, वेतन में कटौतियां और आय में कमी, ये सभी बातें पिछले 12 महीनों के दौरान खूब देखी गई हैं और महामारी की चोट से अनेक लोग अभी बाहर नहीं निकल सके हैं। हालांकि, बड़े पैमाने पर कैशफ्लो की समस्याओं के बावजूद, रोजमर्रा के खर्चों की व्यवस्था उन लोगों के लिए तुलनात्मक रूप से आसान रही है जिनके पास पर्याप्त मात्रा मे इमरजेंसी फंड (आपातस्थिति फंड) थे। इसलिए, इमरजेंसी फंड बनाना, जिससे हमारे कम से कम 6-9 महीनों के समय के लिए सभी खर्चों को उठाया जा सके (जिसमें सभी जरूरी खर्चे और डेट जिम्मेदारियां शामिल हैं), यह हर किसी के लिए सबसे पहला कदम होना चाहिए। अगर आपने पिछले वर्ष अपनी इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल किया है और अब आपके आय के चैनल फिर से शुरू हो गए हैं, तो यह सही समय है कि आप जितनी जल्दी हो सके अपने फंड को फिर से तैयार कर लें। महामारी के अनुभव के कारण हमारे खर्च करने का पैटर्न भी बदला है, जिसमें कॉस्ट-कटिंग उपाय करना शामिल है ताकि हमारी बचतों को बढ़ाया जा सके और पर्याप्त राशि का इमरजेंसी फंड तैयार किया जा सके, शामिल है। इस संबंध में लापरवाही बरतने की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि हम अभी भी बहुत ही अनिश्चित समय से गुजर रहे हैं।
पर्याप्त बीमा कवरेज भी होना आवश्यक है
कोविड-19 महामारी ने हमारी कमजोरियों को इतना अधिक उजागर किया है जैसा इससे पहले कभी नहीं हुआ था और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे फाइनेंस (और हमपर निर्भर परिवार के सदस्य) पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाते हैं, अगर अचानक हमारे साथ कुछ अप्रिय घटना हो जाती है। इसलिए, पर्याप्त लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस सुरक्षा प्राप्त की जानी चाहिए, और यही हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता (प्रिऑरिटी) होनी चाहिए। जहां तक लाइफ इंश्योरेंस का संबंध है, प्लेन वनीला टर्म प्लान से हमें अफॉर्डेबल (सस्ती) प्रीमियम पर जरूरी कुल बीमा राशि के साथ बीमा मिल सकता है, विशेष रूप से अगर हम युवावस्था में पॉलिसी की शुरुआत करते हैं, ताकि हमारे आश्रितों की देखभाल संभव हो सके। और नियोक्ता (एम्प्लायर) द्वारा प्रदान किए जाने वाले ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पर भी पूरी तरह से निर्भर रहना एक बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है, क्योंकि अगर आपकी नौकरी चली जाती है तो इसका उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इसलिए, अगर आपने अभी तक कम से कम 5 लाख रुपये के कवरेज वाली व्यापक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को अभी तक नहीं खरीदा है, तो अब इसके लिए समय नहीं गंवाना चाहिए।
लोन की सावधानी से की जाने वाली व्यवस्था को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए
पिछले वर्ष कई लोगों को अपने लोन को चुकाने में संघर्ष करना पड़ा है। आरबीआई ने उधारकर्ताओं के डेट से संबंधित तनाव को कम करने के लिए अनेक उपायों की घोषणा की थी, लेकिन उन सभी बातों से इसमें कोई फर्क नहीं पड़ा कि लोन का भुगतान अभी भी बाद में करना ही पड़ेगा और कुछ मामलों में वह भी अतिरिक्त ब्याज के साथ। इसलिए, महामारी के अनुभव से हमें इस बात का अहसास हुआ है कि लोन की व्यवस्था अनुशासन से करना जरूरी है ताकि उन्हें हमारे जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने में समर्थ बनाने का एक शानदार टूल बनाया जा सके। ऐसा करने के लिए, आपको डेट को चुकाने के लिए पर्याप्त इमरजेंसी फंड को बनाए रखने जैसे कदम जरूर उठाने चाहिए फिर चाहे आपकी आय के चैनल के संबंध में समस्या ही क्यों न हुई हो, गैर-जरूरी कर्जों को कम से कम रखना चाहिए और अपने चुकाने की क्षमता से अधिक उधार लेने से भी बचना चाहिए, ज्यादा ब्याज वाले ऋणों को कंसोलिडेट करना चाहिए या सही ढंग से विचार करने के बाद सस्ती लोन सुविधा को प्राप्त करने पर विचार करना चाहिए, क्रेडिट कार्ड के बिना सोचे विचारे इस्तेमाल से बचना चाहिए और समय पर डेट को चुका कर यह तय करना चाहिए कि आपका क्रेडिट स्कोर हमेशा 750-800 के बीच में रहता है ताकि भविष्य में आप सबसे अच्छी लोन डील प्राप्त कर सकें। यदि आपने अपने होम लोन के संबंध में मोरेटोरियम का विकल्प चुना है, तो आपको जितना संभव हो सके निकट भविष्य में प्रीपेमेंट करनी चाहिए ताकि अतिरिक्त ब्याज भार को कम किया जा सके और आप शीघ्र ही ऋण मुक्त हो सकें।
अपने वित्तीय लक्ष्यों को रिएडजस्ट करें
लॉकडाउन के कारण पैदा हुए कैशफ्लो मुद्दों के कारण अनेक लोगों को कम फाइनेंस के साथ ही जीवन गुजारने के लिए मजबूर होना पड़ा है जिसका प्रभाव उनकी बचतों और निवेश पर पड़ा है, जो उन्होंने अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किए थे। एक वर्ष के बाद, आपको इस बात का आकलन करना चाहिए कि आपने क्या गंवाया है और क्या आप अपने पास बनाए रख पाए हैं। अपनी बाकी बची बचतों और निवेश की जांच करें, अपनी वर्तमान सेविंग दर की जांच करें और गैर–जरूरी खर्चों को कम करके अपनी बचतों को बढ़ाएं। आपको यह भी तय करना होगा कि आप कौन से वित्तीय लक्ष्यों को अब प्राप्त कर पाएंगे और महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुछ कम प्राथमिकताओं (प्रिऑरिटीज) वाले लक्ष्यों को छोड़ दें।
अगर जरूरी है, तो अपने निवेश पोर्टफोलियों को रिबैलेंस करें
हो सकता है कि आपका निवेश पोर्टफोलियो स्ट्रक्चर अब लॉकडाउन के पहले जैसा न हो। आपकी जोखिम को सहन करने की शक्ति में भी काफी अधिक परिवर्तन हो चुका होगा। इसलिए, आपको इस बात की जांच कर लेनी चाहिए कि क्या आपका निवेश पोर्टफोलियो नई सच्चाईयों से मेल करता है और इस बात को देख लें कि क्या यह किसी खास एसेट क्लास की तरफ अधिक झुका हुआ तो नहीं है। यदि ऐसा है, तो आप वांछित रिटर्न प्राप्त करने के लिए अपने निवेश को ऑप्टिमली डायवर्सिफाई करने पर विचार कर सकते हैं। पोर्टफोलियो रिबैलेंसिंग से आपको अपनी मौजूदा वित्तीय क्षमता के अनुसार अपने अपडेटेड वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है।
अपने निवेश के साथ जुड़े रहने की कोशिश करें
अनेक निवेश प्रोडक्ट्स द्वारा बाजार से जुड़े अभूतपूर्व उतार-चढ़ावों का सामना किया गया है। लेकिन, एक वर्ष के बाद स्थिति बेहतर दिखाई दे रही है। अनेक निवेशक जिन्होने धैर्य रखा था और जो अपने निवेश के साथ जुड़े रहे थे, उन्हें अब अच्छा लाभ मिल रहा है, जबकि अनेक ऐसे लोग जो घबरा कर निवेश से बाहर हो गए, उन्हें अब अपने फैसले पर अफसोस हो रहा है। नई सच्चाई यह है कि निवेशक को लॉन्ग टर्म पर फोकस करना चाहिए और अपने लक्ष्यों और जोखिम को वहन करने की क्षमता के अनुसार नियमित रूप से निवेश जारी रखना चाहिए ताकि अच्छे रिटर्न प्राप्त कर सकें।
निष्कर्ष के रूप में, महामारी के कारण होने वाले सेटबैक से अर्थव्यवस्था अभी रिकवर नहीं हुई है, इसलिए, हमें अपने लक्ष्यों की प्राथमिकताओं (प्रिऑरिटीज) को तय करना चाहिए और अपनी बचतों, बीमा (इंश्योरेंस) और निवेश योजनाओं में, यदि ज़रूरी है, तो बदलाव करने चाहिए। नई वित्तीय सच्चाईयों को अपना लेने से हम किसी भी अन्य चुनौती का सामना करने के लिए सक्षम हो सकेंगे, जिसका सामना भविष्य में हमें करना पड़ सकता है।