स्टडी के मुताबिक प्रकृति के करीब रहने वाले बच्चों में भावनात्मक और व्यवहार से जुड़ी समस्याएं नहीं होतीं, बौद्धिक विकास भी बेहतर होता है

0

प्रकृति के करीब रहना सेहत के लिए तो अच्छा है ही, इससे भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याएं भी नहीं होतीं। खासकर जिन बच्चों का हरियाली से बेहतर एक्सपोजर होता है उनका बौद्धिक विकास भी अच्छी तरह होता है। इसके उलट शहरी क्षेत्र में और प्रकृति से कटकर रहने वाले बच्चों को भावना और व्यवहार संबंधी दिक्कतों का जोखिम रहता है। यह दावा यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) और इंपीरियल कॉलेज की स्टडी में किया गया है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि महामारी के खात्मे के साथ तो यह और भी जरूरी हो जाता है, क्योंकि इस दौर में बच्चों का ज्यादातर वक्त घर के अंदर ही बीता है। स्टडी के दौरान 9 से 15 साल के 3500 बच्चों की मानसिक सेहत की तुलना की गई। स्टडी के लेखक और यूसीएल में प्रोफेसर केट जोंस के मुताबिक इस उम्र वर्ग को इसलिए लिया गया, क्योंकि ये बच्चों की तर्कशक्ति, दुनिया को लेकर समझ और विकास में महत्वपूूर्ण समय है।

इन बच्चों से भावनात्मक समस्या, व्यवहार, हाइपर एक्टिविटी और साथियों के साथ बर्ताव संबंधी सवाल किए गए थे। बच्चों का रोजाना प्रकृति से संपर्क मापने के लिए सैटेलाइटट डाटा की मदद ली गई। प्राकृतिक वातावरण को भी दो हिस्सों में बांटा गया, जिसमें पहला ग्रीन स्पेस (पेड़, हरियाली से भरे मैदान और पार्क) और दूसरा ब्लू स्पेस (नदी, तालाब और समुद्र के करीब) रखा गया। नतीजे हैरान करने वाले थे।

हरियाली से करीबी रखने वालों का बौद्धिक विकास ज्यादा हुआ, इसके अलावा उन्हें भावनाओं और व्यवहार से जुड़ी दिक्क्तों का जोखिम 17% तक घट गया। ब्लू स्पेस में यह फायदा नहीं दिखा। शोधकर्ताओं के मुताबिक इसके पुख्ता सुबूत हैं कि प्राकृतिक वातावरण बच्चों व किशोरों के मानसिक और बौद्धिक विकास में अहम भूमिका निभाता है, खासकर जब वे वयस्कता में प्रवेश कर रहे होते हैं।

हरियाली के करीब रहने पर मानसिक सेहत में भी सुधार होता है: विशेषज्ञ

स्टडी के प्रमुख लेखक और यूसीएल में प्रोफेसर केट जोन्स के मुताबिक नतीजों से स्पष्ट होता है कि पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के द्वारा मिलने वाला ऑडियो-विजुअल एक्सपोजर मनोवैज्ञानिक तौर पर फायदा पहुंचाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ग्रीन स्पेस में वॉक और शारीरिक गतिविधियां करने से एंडॉर्फिन (खुशी से जुड़ा हॉर्मोन) रिलीज होता है। इससे मूड सुधरता है और चिंता व तनाव में कमी आती है। प्राकृतिक वातावरण में घूमने और समय बिताने से मानसिक सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here