बालाघाट : चारपाई पर प्रसूता को अस्पताल ले जाने मजबूर

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 सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्य कराने की बात तो कही जाती है लेकिन उसका क्रियान्वयन धरातल पर नजर नहीं आता है। देश को आजाद हुए 70 वर्ष हो गए लेकिन आज भी आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोग बदहाली का जीवन जी रहे हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में सडक़ जैसी मूलभूत सुविधा उपलब्ध ही नहीं है जिसके कारण प्रसूता महिलाओं को चारपाई पर लेटा कर कंधों के सहारे गांव का रास्ता पार कराना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला बैहर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत उकवा के समीप स्थित ग्राम पंचायत दलदला के नकटाटोला का सामने आया है जिसमें एक गर्भवती महिला को डिलेवरी कराने के लिए चारपाई पर लिटा कर कंधे के सहारे गांव का कीचडऩुमा रास्ता पार करवाया गया। यह जानकारी सोशल मीडिया पर सामने आते ही आदिवासी समाज संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा इसको जिला प्रशासन के संज्ञान में लाने प्रयास प्रारंभ कर दिया गया है, जिस भी व्यक्ति द्वारा यह दृश्य देखा जा रहा था जिला प्रशासन द्वारा कराए गए विकास कार्यों की आलोचना की जा रही थी।


ए΄बुले΄स नही΄ पहु΄चने के कारण लेना पड़ा खाट का सहारा
आपको बताये कि यह मामला आदिवासी क्षेत्र के ग्राम दलदला का है जहां अधिकांश बैगा जनजाति के लोग रहते हैं। यहां अब तक सडक़ ही नहीं बनी है कच्चे रास्ते से लोगों को आना जाना पड़ता है। यहां इतना ज्यादा कीचड़ है कि जननी एक्सप्रेस वाहन भी नहीं पहुंच पा रही हैं। प्रसूता की खराब हो रही हालत को देखकर ग्राम के युवाओं, आशा कार्यकर्ता और जागरूक लोगों द्वारा खाट का सहारा लेकर अस्पताल पहुंचाने के लिए ले जाया गया। बताया जा रहा है कि यहां 2 किलोमीटर का रास्ता बहुत ही ज्यादा कच्चा है।
यह बहुत ही ज्यादा चि΄ता का विषय है – दिनेश धुर्वे
इसके संबंध में चर्चा करने पर मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद के जिला अध्यक्ष दिनेश धुर्वे में बताया कि शासन प्रशासन द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्य कराने की बातें तो बहुत की जाती है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। आदिवासी क्षेत्रों में कई ग्राम ऐसे हैं जहां सडक़ ही नहीं है और लोग बदहाली का जीवन जीने मजबूर है। हमने भी सोशल मीडिया पर वीडियो को देखा है प्रसूता को खाट पर लिटा कर 4 बच्चे ले जा रहे हैं युवाओं ने करीब 1 से 2 किलोमीटर महिला को खाट पर ले गए और वहां से अस्पताल पहुंचाये। जिले के जितने भी ट्राइबल ब्लॉक है बैहर, बिरसा, परसवाड़ा के ग्रामों में ऐसे विकराल स्थिति है इन क्षेत्रों के लोग मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए सरकार प्रयासरत नहीं है योजनाओं का संचालन ग्रामीण क्षेत्रों में जो होना चाहिए वह नहीं हो रहा है यह बहुत ही ज्यादा चिंता का विषय है।
इनकी समस्या पर कोई ध्यान नही΄ दे रहा है – अवतार
गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन के ब्लाक अध्यक्ष अवतार उइके ने बताया कि देश को आजाद हुए 70 वर्ष से अधिक समय होने जा रहा है लेकिन आज उकवा के पास ग्राम पंचायत दलदला के अंतर्गत आने वाले नकटाटोला में बैगा समुदाय के लोग रहते हैं वहां के लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है वहां आवागमन के लिए रोड ही नहीं है। लोग कच्चे रास्ते से आना-जाना करते हैं यहां की समस्या पर न पंचायत ध्यान दे रही है और न ही कोई ध्यान दे रहे है। कल एक प्रसूता को खाट में लिटा कर कंधे में लेकर अस्पताल के लिए भिजवाया गया।
जल्द ही दिखवाया जाएगा – दीपक आर्य

इसके संबंध में दूरभाष पर चर्चा करने पर कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया कि इस मामले को आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया है जल्द ही इसको दिखवाया जाएगा।
ग्राम प΄चायत के कायोर्΄ मे΄ भी सरकार अड़΄गा डाल देती है – स΄जय उइके

दूरभाष पर चर्चा करने पर बैहर विधायक संजय उइके ने बताया कि दलदला बड़ी पंचायत है दलदला के दो टोले लंबे-लंबे है सडक़ बना पाना पंचायत के बस की बात नहीं है अन्य कोई मद से ही सडक़ बनाई जा सकती हैं वहां के लोगों ने मंच मांगे थे वह दिया गया है। कोविड के कारण अभी फंड कहां से दे यह समस्या है। ग्राम पंचायत को पहले मूलभूत की राशि आती थी उससे ऐसी सडक़ें चलने लायक बना दिया जाता था। सरकार ग्राम पंचायत के कार्यों में भी अड़ंगा डाल देती हैं अपनी योजना ला देती हैं ग्राम पंचायत को बांध दिया गया है। बैगाओं के नाम पर जो पैसा आ रहा है उसे सरकार कहां खर्च करती है यह बताया जाएगा।

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