नक्सलियों द्वारा मनाए जा रहे शहीद सप्ताह में विरोध दर्ज करने के लिए घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने बारसूर- पल्ली मार्ग पर ब्लास्ट कर एक बोलेरो कार को उड़ा दिया जिसमें सवार १२ लोग घायल हो गए वहीं घटना में एक गंभीर व्यक्ति की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार बोलेरो में सवार सभी लोग बालाघाट और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के रहने वाले है।
इस घटना में धनसिंह की मौत हुई है। ११ घायल हैं, जिनमें एक रूपलाल की स्थिति गंभीर है। बोलेरो सवार कुछ यात्री बालाघाट के हैं। अन्य राजनन्दगाँव के बताए जा रहे है। यह घटना गुरुवार सुबह करीब ७.३० बजे नारायणपुर, दंतेवाड़ा व कोंडागांव जिलों की सीमा पर स्थित मालेवाही व बोदली के बीच घटी की बताई जा रही है।
इस वारदात में धनसिंह पुत्र सिलदार (३०) व रूपलाल पुत्र कुरुपलाल (२५) गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल में उपचार के दौरान धनसिंह की मृत्यु की सूचना मिली है। वहीं घटना में अन्य चार घायलों का उपचार जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में किया जा रहा है। घायलों में २१ वर्षीय सुरेश पटेल पुत्र सुजान लाल निवासी साल्हेवारा राजनांदगांव, १२ वर्षीय पालेश्वर साहारे पुत्र जगत साहारे निवासी साल्हेवारा राजनांदगांव खतरे से बाहर हैं। वहीं २९ वर्षीय कुहुप लाल मानेश्वर पुत्र समलू राम मानेश्वर निवासी भगतवाही सालेटकारी चौकी जिला बालाघाट का दाहिना पैर फ्रैक्चर हैं।
वहीं सालेटकारी चौकी जिला बालाघाट मध्य प्रदेश के १८ वर्षीय चोवाराम पुत्र मैनलाल परगनिया और दुर्गा पटेल पत्नी सुरेश पटेल २० वर्ष निवासी थाना साल्हेवार राजनांदगांव छत्तीसगढ़ खतरे से बाहर हैं।
मिली जानकारी के अनुसार बालाघाट जिले के भगतवाही के कुछ लोग निजी बोलेरो वाहन से पल्ली- बारसूर के रास्ते तेलंगाना जा रहे थे।
दंतेवाड़ा को नारायणपुर से जोड़ने वाली इस ६० किमी सड़क को बीते चार दशक से नक्सलियों ने बंद कर रखा था। पिछले साल फोर्स ने इस मार्ग पर बोदली में कैंप खोलकर सड़क को दोबारा बहाल करना शुरू किया है।
जानकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा को नारायणपुर से जोड़ने वाली इस ६० किमी सड़क मार्ग में मालेवाही व कडेनार में भी कैंप हैं। बारसूर में इन्द्रावती नदी पर बने सातधार के पुल के आगे अबूझमाड़ से सटे इस मार्ग को अतिसंवेदनशील माना जाता है।
राजनांदगांव की ओर से नारायणपुर होते हुए दक्षिण भारत तक जाने के लिए यह छोटा रास्ता है। बोलेरो सवारों ने इस रास्ते पर चलने का जोखिम उठाया। नक्सली आमतौर पर प्राइवेट वाहनों व नागरिकों पर हमला नहीं करते पर इस घटना के बाद छत्तीसगढ़ राज्य में भी लोगों में डर का माहौल व्याप्त है।