यहां होने जा रहे हैं पंचायती राज चुनावों के तहत जिला परिषद सदस्य और जिला प्रमुख के लिए एक बार फिर मदेरणा परिवार की बहू लीला मदेरणा भी चुनाव में उतरी है। वे छटी बार चुनाव लड़ रही है और 25 सालों से जिला परिषद की सदस्य जीतती आयी है। वर्ष 1994 में प्रदेश में पंचायत राज व्यस्था के दौरान जिला परिषद का गठन हुआ । शुरुआत से ही लीला मदेरणा जिला परिषद सदस्य के रूप में चुनी जा रही हैं
पति के जिला प्रमुख रहते हुए भी पत्नी लीला जिला परिषद की सदस्य थी । यही नहीं पिछले चुनाव में मां – बेटी दोनों एक साथ सदस्य रही । बेटी दिव्या ने जिला परिषद सदस्य रहते हुए ही विधायक का चुनाव लड़ और जीतकर विधानसभा पहुंची। इतना ही नही भंवरी देवी अपहरण हत्या कांड में पति महिपाल मदेरणा के फंसे होने के बावजूद भी लीला मदेरणा का राजनीतिक वजूद कम नहीं हुआ और उस दौर में भी उन्होंने अपनी राजनीतिक सक्रियता बरकरार रखते हुए चुनाव जीता था।
हालांकि महिपाल मदेरणा भी जोधपुर के जिलाप्रमुख रह चुके हैं। जिला प्रमुख बनने के बाद ही उन्होंने विधायक का चुनाव लड़ा था। वे विगत गहलोत सरकार में जल संसाधन मंत्री बने थे, लेकिन भंवरी देवी अपहरण हत्याकांड के चलते उनका कार्यकाल बतौर मंत्री पूरा नहीं हो सका। उसके बाद से वे जेल में है। इसके बावजूद अपने क्षेत्र में मजबूत राजनीतिक पकड़ होने के चलते मदेरणा परिवार का वर्चस्व बरककार है। लीला महिलाप मदेरणा की पुत्री दिव्या मदेरणा वर्तमान गहलोत सरकार में विधायक है।
विरासत में मिली राजनीति, तीन पीढ़ी रही सरकार में
जोधपुर ग्रामीण के चाडी गांव से ताल्लुक रखने वाला मदेरणा परिवार का शुरू से ही अपने राजनीतिक रसूखात से वर्चस्व स्थापित है।लीला मदेरणा के ससुर , महिपाल मदेरणा के पिता परसराम मदेरणा कांग्रेस के कद्दावर जाट नेता थे । 1958 में यह कांग्रेस के मुख्यमंत्री के दावेदार थे ।
परसराम मदेरणा ही अशोक गहलोत को राजनीति में लाए थे पिता के साथ बेटा महिपाल भी राजनीति में रहा। इसके बाद दिव्या मदेरणा परिवार के राजनीतिक करियर को आगे सींच रही है । विगत जिला परिषद में भी मां बेटी दोनों सदस्य रहे। अपने पिता की ही तरह दिव्या ने जिला परिषद सदस्य रहते हुए ही विधायक का चुनाव लड़ा और उसके बाद में जीतकर विधानसभा पहुंची ।